Rajiv Gandhi killers: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केंद्र
शीर्ष कोर्ट के 11 नवंबर के आदेश के बाद नलिनी समेत छह दोषियों को 12 नवंबर को जेल से रिहा कर दिया गया था।
राजीव गांधी के हत्यारों (Rajiv Gandhi killers) को रिहा करने के फैसले के खिलाफ मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। केंद्र ने पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दायर की है। सरकार ने नलिनी समेत छह को रियायत देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से दोबारा विचार करने की मांग की। 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व पीएम राजीव गांधी के दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था। शीर्ष कोर्ट के आदेश के बाद नलिनी समेत छह दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था।
केंद्र ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या करने वाले दोषियों को छूट देने का आदेश मामले में एक आवश्यक पक्षकार होने के बावजूद उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना पारित किया गया। सरकार ने कथित प्रक्रियात्मक चूक को उजागर करते हुए कहा कि छूट की मांग करने वाले दोषियों ने औपचारिक रूप से केंद्र को एक पक्ष के रूप में शामिल नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप मामले में उसकी गैर-भागीदारी हुई।
समीक्षा याचिका में कहा गया है कि 11 नवंबर का आदेश “पेरारिवलन (Perarivalan) आदेश पर गलत तरीके से भरोसा करके पारित किया गया है” और कहा कि “भारत संघ द्वारा किसी भी सहायता के अभाव में इसे इंगित नहीं किया जा सकता है” कि 18 मई का आदेश ‘वास्तव में और कानून में, शेष सह-अपराधियों के मामले में लागू नहीं था क्योंकि … अधिकांश अपीलकर्ता विदेशी नागरिक थे और उनकी पेरारिवलन की तुलना में एक अलग और अधिक गंभीर भूमिका थी।’
केंद्र ने कहा कि “देश के पूर्व प्रधान मंत्री की हत्या के जघन्य अपराध के लिए देश के कानून के अनुसार विधिवत दोषी ठहराए गए विदेशी राष्ट्र के आतंकवादी को छूट देना एक ऐसा मामला है, जिसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव है और इसलिए यह पूरी तरह से भारत संघ की संप्रभु शक्तियों के दायरे में आता है।”
कौन थी नलिनी श्रीहरन (Nalini Sriharan)
भारत की सबसे लंबे समय तक महिला कैदी रही नलिनी श्रीहरन 1991 के राजीव गांधी हत्या मामले में छह दोषियों में से एक थीं, जिनकी रिहाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 11 नवंबर को दिया था। 21 मई, 1991 को लिट्टे के मानव बम द्वारा राजीव गांधी की हत्या के समय श्रीपेरंबुदूर (Sriperumbudur) में जीवित मौजूद वह एकमात्र अभियुक्त थी। वह 31 साल बाद 12 नवंबर को जेल से बाहर आई।