ISRO के नाम एक और उपलब्धि, लॉन्च किया सबसे छोटा रॉकेट एसएसएलवी-डी2, जानें मकसद
इसरो ने बताया कि एसएसएलवी लघु, सूक्ष्म या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किग्रा द्रव्यमान) को 500 किलोमीटर की समतलीय कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है।
ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार (10 फरवरी) को एक और उपलब्धि हासिल की। बता दें कि इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएसएलवी-डी2 की अपनी दूसरी उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। मालूम हो कि यह लॉन्चिंग 10 फरवरी की सुबह की गई, जिसमें तीन उपग्रहों उपग्रहों- EOS-07, Janus-1 और AzaadiSAT-2 को इसकी सटीक कक्षा में स्थापित किया गया।
बता दें कि EOS-07 को पूरी तरह से इसरो ने तैयार किया है। यह 156.3 किलोग्राम वजनी उपग्रह है वहीं Janus-1 को अमेरिका की कंपनी अंतारिस ने तैयार किया है। इसका वजन 10.2 किलोग्राम है। इसके अलावा AzaadiSAT-2 चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज का उपग्रह है। इसका वजन 8.7 किलोग्राम है।
इसरो की उम्मीदें:
बता दें कि इसरो को कुछ महीनों पहले अपने पहले मिशन में जिस तरह की उम्मीद थी, वैसे परिणाम नहीं मिल पाए थे। इसरो के इस साल के पहले मिशन और एसएसएलवी की दूसरी ‘विकास उड़ान’ के दौरान अद्भुत संयोग देखने को मिला। बता दें कि इसे सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर इसे प्रक्षेपित किया था और सात अगस्त 2022 को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एसएसएलवी ने ठीक इसी समय पहली विकास उड़ान भरी थी।
उस दौरान पहली विकास उड़ान कक्षा संबंधी विसंगति और रॉकेट के उड़ान अपने ट्रैक से भटकने के चलते सही परिणाम नहीं मिल सके थे। ऐसे में एसएसएलवी की दूसरी विकास उड़ान में सुधार करके फिर से लॉन्चिंग की गई। इसकी सफलता पर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने राहत की सांस ली और कहा कि एसएसएलवी ने अपनी दूसरी उड़ान में तीन उपग्रहों को उनकी सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है।
उन्होंने सफल लॉन्चिंग के बाद ‘मिशन कंट्रोल सेंट्रल’ (एमसीसी) से कहा कि भारत के अंतरिक्ष समुदाय को बधाई… हमारे पास एक नया प्रक्षेपण यान है, लघु उपग्रह एसएसएलवी। एसएलएलवी डी2 ने अपनी दूसरी कोशिश में उपग्रहों को उनकी अपेक्षित कक्षा में सटीकता से स्थापित कर दिया। तीनों उपग्रह दलों को बधाई।
एस सोमनाथ ने कहा कि पिछली बार हुए प्रक्षेपण में जो भी कमियां पाई गईं, उसको लेकर सुधारात्मक कदम उठाए गए और उचित समय पर उन्हें लागू किया गया। वहीं मिशन निदेशक एस विनोद ने कहा कि इसरो टीम ने सात अगस्त, 2022 को विफलता मिली थी, उसके तुरंत बाद वापसी की गई।
मकसद:
इसरो ने बताया कि एसएसएलवी लघु, सूक्ष्म या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किग्रा द्रव्यमान) को 500 किलोमीटर की समतलीय कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है। यह मांग के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है। यह अंतरिक्ष कम लागत वाली पहुंच प्रदान करता है। इसका मकसद प्रक्रिया में कम समय लगना और कई उपग्रहों को समायोजित करने में सहायक होना है। इसरो ने कहा कि इसे प्रक्षेपण के लिए बहुत कम मूलभूत चीजों की आवश्यता होती है। इसमें तीन ठोस प्रणोदन चरण और एक वेग टर्मिनल मॉड्यूल है।