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Delhi Earthquake: दिल्ली-NCR में 5.8 तीव्रता का तेज भूकंप, कश्मीर में भी हिली धरती, घर से बाहर निकले लोग

दिल्ली- NCR में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए है। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश्त वाला इलाका रहा और इसकी तीव्रत 5.8 मापी गई है। सबसे तेज झटके जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में महसूस किए गए, वहीं दिल्ली-एनसीआर में भी धरती तेज हिली। इसके अलावा पाकिस्तान के कई इलाकों में भी तेज भूकंप ने लोगों को खौफजदा कर दिया था। बताया जा रहा है कि 9 बजकर 34 मिनट पर ये भूकंप आया और इसके दस्तक देते ही लोग काफी डर गए।

दिल्ली-NCR में तेज भूकंप, घर से बाहर निकले लोग

जानकारी मिली है कि दिल्ली-एनसीआर में लोग तुरंत अपने घर से बाहर निकल गए। अभी तक किसी भी तरह की जान-माल की हानी की खबर नहीं है, लेकिन लोगों में डर है। इससे पहले भी दिल्ली में तेज भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं, राजधानी क्योंकि हाई रिस्क जोन में आती है, ऐसे में यहां पर बड़े संकट का खतरा हमेशा बना रहता है। बड़ी बात ये है कि इस साल 24 जनवरी को भी दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। उस समय भी भूकंप की तीव्रता 5.5 ही रही थी।

क्यों और कैसे आता है भूकंप?

भूगोल (Geography) के मुताबिक धरती के अंदर प्लेटों के आपस में टकराने से भूकंप आने की घटना होती है। धरती के अंदर इस तरह की सात प्लेट्स होती हैं। ये सभी लगातार घूमती रहती हैं। इस दौरान कभी-कभी किसी जगह ये प्लेट आपस में टकराती हैं। इसके बाद वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है। प्लेट की सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है। इससे प्लेट्स टूटने लगती हैं। इनके टूटने से अंदर की ऊर्जा बाहर आने लगती है। इससे निर्मित दबाव से धरती हिलती है। इस भौगोलिक घटना को ही भूकंप कहा जाता है।

वैज्ञानिक इस ट्रेंड के बारे में क्या बताते हैं?

वैज्ञानिकों के मुताबिक पूरा भारतीय उपमहाद्वीप धीरे-धीरे भूकंप वाले खतरनाक क्षेत्र में आता जा रहा है। कब उच्च स्केल का भूकंप आ जाए, कहना मुश्किल है। इसलिए भू-वैज्ञानिक भूकंप से बचने के लिए आम आदमी में सजगता बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक दिल्ली, दिल्ली के आसपास और देश का पश्चिम-उत्तर क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेनशील क्षेत्र है। इसलिए हर वक्त, हर उम्र और हर वर्ग के लोगों में सजगता और संवेदनशीलता की जरूरत है। महज ज्यादा तादाद में वेधशालाएं स्थापित करने से उच्च स्तर के भूकंपों से जान माल से पूरी तरह बचाव करना नामुमकिन है।

भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के अंदर दिनोंदिन हलचल बढ़ रही है। पिछले दो सालों में दो दर्जन से ज्यादा भूकंप के छोटे झटके महसूस किए गए। इसी कड़ी में अब शनिवार को भी भूकंप के तेज झटके महसूस कर लिए गए।

भूकंप की कितनी तीव्रता, क्या होता असर?

1 से 1.9 : इस तीव्रता पर भूकंप आने पर केवल सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
2 से 2.9 : इस तीव्रता का भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है।
3 से 3.9 : ऐसा असर होता है, जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजरा हो।
4 से 4.9 : खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी घंडी भी गिर सकती हैं।
5 से 5.9 : फर्नीचर, अलमारी आदि हिल सकती हैं।
6 से 6.9 : इमारतों की नींव भी दरक सकती है और ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
7 से 7.9 : इस तीव्रता में इमारतें गिर जाती हैं और जमीन के अंदर मौजूद पाइप भी फट जाते हैं।
8 से 8.9 : इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।

9 और उससे ज्यादा तीव्रता : इस तीव्रता का भूकंप काफी तबाही मचाता है। यह भूकंप इतना तेज होता है कि अगर कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समुद्र के नजदीक भूकंप आने पर सुनामी आ सकती है।

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