Chandryaan 3: चांद के और करीब पहुंचा भारत का मून मिशन, निचली कक्षा में लाने के लिए विक्रम लैंडर की हुई ‘डीबूस्टिंग’
भारत का चंद्रयान 3 चांद के और ज्यादा करीब पहुंच गया है। उसने एक और चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसी कड़ी में विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग हो गई है और वो चांद की निचली कक्षा में प्रवेश कर गया है। उसने निचली कक्षा में प्रवेश करते ही चांद की एक और काफी करीब वाली तस्वीर शेयर की है।
अब रफ्तार कम करने की बारी
जानकारी के लिए बता दें कि आज दोपहर चार बजे ही विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग होनी थी उसकी रफ्तार कम कर उसे निचली कक्षा में लाया जाना था। वो काम ठीक तरह से पूरा कर लिया गया है, ऐसे में सभी की नजर 20 अगस्त पर है जब फिर डीबूस्टिंग की जाएगी। यानी कि चांद के और ज्यादा करीब आने के लिए विक्रम की रफ्तार को लगातार कम किया जाएगा। पिछली बार जब चंद्रयान 2 क्रैश किया था, तब रफ्तार का कम ना होना एक बड़ा कारण था।
सबसे बड़ी चुनौती क्या?
वैसे अब चंद्रयान 3 में कई ऐसे बदलाव किए गए हैं जिसकी वजह से गलती की गुंजाइश काफी कम हो गई है। इसी वजह से कल सफलतापूर्वक चंद्रयान 3 दो हिस्सों में बंट गया था। यहां ये समझना जरूरी है कि चंद्रयान 3 अभी तक चांद की 100 किलोमीटर वाली कक्षा में प्रवेश नहीं किया है। ऐसे में जब तक वो वहां नहीं पहुंच जाता, चंद्रयान का ये मिशन बड़ी चुनौती रहने वाला है।
पिछली गलती से क्या सीखा?
जानकार बताते हैं कि लैंडिंग के वक्त काफी धूल उड़ेगी, ऐसे में जब तक सब कुछ साफ नहीं हो जाए, वो बाहर नहीं निकलेगा। वैसे इस बार पुरानी गलतियों से काफी कुछ सीख लिया गया है। इस बार लैंडिंग साइट के लिए 500×500 मीटर के छोटे से जगह के बदले 4.3 किमी x 2.5 किमी के बड़े जगह को टारगेट किया गया है। इसका यह मतलब हुआ कि इस बार लैंडर को ज्यादा जगह मिलेगी और वो आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर पाएगा।