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64 के बजरंग 58 की आशा बर्लिन डायनासोर का हिस्सा:लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करेंगे प्राइज मनी, 3 नामांकन वाले देश के पहले चंपारण

एक घंटा पहलेलेखक: अनुराग गुप्ता

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मन में संजीदा हो तो सबसे बड़ी उम्र भी हौसलों को पीछे नहीं कर सकी, यह दिखाया गया है नाउन के कर्नल (रिटायर्ड) बजरंग सिंह और उनकी पत्नी आशा सिंह ने। बजरंग की उम्र 64 साल है और आशा की 58 साल लेकिन, दोनों इन उम्र के आंकड़ों से बेपरवाह लखनऊ से 6 हजार किमी दूर बर्लिन में रहने वाले वाले देश का सिर ऊंचा करने जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में साउदी बजरंग सिंह ने 12वीं तक की पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई करने के लिए कानपुर चले गए। हरकोर्ट बटलर कॉलेज से इंजीनियरिंग करने के बाद एम.टेक के लिए आईआईटी स्टाकलिंग में सिलेक्शन हो गया। पुरालेख में ही सेना भर्ती रैली में भाग लिया गया। 1986 में भारतीय सेना में चयन हुआ।

शुरुआत में फाइटर फोर्स में रहे। इसके बाद माइन फील्ड में भेज दिया गया। देश के अलग-अलग हिस्सों में सेवा देने के बाद अंतिम पोस्टिंग पुणे मिली। इसके बाद 2014 में भारतीय सेना से कर्नल पद छोड़ दिया गया। पुणे में रहने के दौरान पहली बार रनिंग में हिस्सा लिया गया। पहली बार वह अपनी पत्नी के साथ बिना तैयारी के काम में लग गए।

इसके बाद दोनों का ये निर्देशन ऐसा शुरू हुआ कि 6 मेजर नॉमिनेट में से 4 स्टूडेंट बनने वाली हैं। 5वें बर्लिन डेमोक्रेट के लिए अस्त्र हो चुके हैं। जो जर्मनी के बर्लिन में 24 सितम्बर को है। बजरंग सिंह 60-65 आयु वर्ग और आशा सिंह 55-60 आयु वर्ग का भाग।

कर्नल बजरंग सिंह की कहानी का परिचय दैनिक भास्कर उनका घर पहुंचा। जहां पर इस पौराणिक से जुड़ी बातें जानी। इसके अलावा जीवन के हर सिद्धांत पर बातचीत की। आइये शुरू से जानते हैं…

इस तस्वीर में कर्नल बजरंग सिंह और उनकी पत्नी हैं।  दोनों 24 सितंबर को बर्लिन में भाग लेंगे।

इस तस्वीर में कर्नल बजरंग सिंह और उनकी पत्नी हैं। दोनों 24 सितंबर को बर्लिन में भाग लेंगे।

इंजीनियरिंग कर रहे बजरंग, कैसे बने सेना के टुकड़े?
सुल्तानपुर स्थित परिवारवार गांव में रहने वाले बजरंग सिंह का जन्म 1960 में हुआ। पिता भगवती प्रसाद सिंह बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते थे। बजरंग भी पढ़े काफी होनहार थे। 12वीं तक की पढ़ाई पूरी तरह से सुल्तानपुर के धम्मौर स्कूल से। इसके बाद कानपुर के हरकोर्ट बटलर कॉलेज चले गए।

वहां से अभिलेखों में एम.टेक के लिए सिलेक्ट किया गया। कॉलेज के पास ही सेना भर्ती की रैली हुई थी। उन्हें देखकर बजरंग सिंह देश सेवा से प्रभावित होने लगें। इंजीनियर बनने के लिए घर से निकले बजरंग ने अब सेना में जाने का मन बना लिया। 1986 में सेना भर्ती में शामिल किया गया और पहली बार चयन किया गया।

ये तस्वीर बोस्टन बोस्टन के दौरान ली गई थी।  यह दुनिया के सबसे प्रमुख आदर्श में से एक है।

ये तस्वीर बोस्टन बोस्टन के दौरान ली गई थी। यह दुनिया के सबसे प्रमुख आदर्श में से एक है।

10 प्रोटोटाइप प्रोटोटाइप से हुई शुरुआत
बजरंग सैनिक 28 साल से सेना में नौकरी करने के बाद अब नियुक्ति बंद कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई पूरी हो गई थी। कार्यस्थल नौकरी लग गई थी। सभी की शादियाँ हो गयीं। साड़ी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए थे। विषय-वस्तु के बारे में राष्ट्रवाद से नाराजगी क्या इसके बाद लाइफ का एम्बिशन क्या होगा? किस तरह से खुद को एक्साइटेड रखा जाए।

पुणे में पहली बार 10 किमी की रीजनल मॉर्क रनिंग में अपनी पत्नी के साथ भाग लिया। यह पहली बार बिजनेस ही हुई। फिर लगा कि अच्छी रनिंग कर सकते हैं। धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे जोसेफ जोसेफ में शामिल हो गए। लगभग जहां भी गए, वहां पोडियम प्लेसमेंट लगी। इसके बाद तो देश भर में होने वाली पुर्तगाल में भाग लेने लगे।

सेना का अनुभव बजरंग सिंह के काम आया
कर्नल बजरंग सिंह की भारतीय सेना में अंतिम पोस्टिंग पुणे थी। पुणे में रिजनल रनिंग मोटरसाइकल रेंट था। आस-पास के लोगों से रनिंग के बारे में सुना गया। सेना में रहने की वजह से फिटनेस थी। रीजनल रनिंग में जाने का प्लान बनाने के बाद।

56 साल की उम्र में करियर के दूसरे दौर में हिस्सा लिया। पहली बार जून, 2016 में पुणे में हुई 10 किमी के हाफ में भाग लिया। इसके बाद दिसंबर, 2016 में गोवा में फुल फॉर्मूलेशन में जोसेफ आये। 2017 में हैदराबाद में फुल मोनार्क में चले गए। पहली पोस्टिंग मिली।

ये तस्वीर बजरंग सिंह और आशा सिंह के प्रैक्टिस सेशन की है।

ये तस्वीर बजरंग सिंह और आशा सिंह के प्रैक्टिस सेशन की है।

6 प्रमुख नामांकन में से 4 पूर्ण कर पाँचवाँ भाग बन गये
दुनिया में जो सबसे प्रमुख आदर्श हैं, उनमें 6 आदर्शों का नाम आता है। सबसे पुराना बोस्टन डेमोक्रेट है। इसके अलावा लंदन, न्यूयॉर्क सिटी, शिकागो, बर्लिन और टोक्यो। बॉस्टनल को सलाह देना किसी सीरियस रनर की उपलब्धि की बात मानी जाती है। कर्नल बजरंग सिंह ने अपनी पत्नी आशा सिंह के साथ 2019 और 2021 में सगाई की थी। बजरंग इसके अलावा शिकागो, लंदन और न्यूयॉर्क भी छात्र हैं।

चार मेजर मार्शल पूर्णीकरण के बाद बर्लिन में अप्लाई किये गये। जिसका आधार दोनों लोगों का सिलेक्शन बर्लिन डेमोक्रेट में हुआ। चार प्रमुख मॉडल बनाना का मतलब 4 स्टार लगाना होता है। जिस दिन दुनिया के छह मेजर नॉमिनल पूरी तरह से अलग हो गए, उस दिन 6 स्टार विनर हो जाएंगे। बर्लिन के बाद 5 स्टार हो जायेंगे। इसके बाद टोक्यो कण्ट्रोल बॅचगी। जो अगले साल पूरा कर देगा।

बजरंग सिंह और आशा सिंह भारत के पहले ऐसे कपल हैं, 6 मेजर अनमोल से 3 साल पहले पूरी तरह से थे। जिसके बाद इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का भी मिल मेडल चुकाया गया।

सोशल मीडिया से अच्छे रनर को अपने साथ जोड़ा
वर्टिकल के बारे में सर्च करें वक्ता पता चला कि बोस्टन मार्ट होता है। जो कि दुनिया का प्रमुख आदर्श है। उ विशेष रूप से संबंध बनाना होता है। दिमाग में आया कि निजी ज्ञान करना चाहिए। जिसे 2019 में बनाया गया। इस दौरान दिमाग में एक बात आई कि क्यों न अपने शहर और लोगों को तैयार किया जाए। जो बोस्टन बोस्टन में भाग लें। सोशल मीडिया के माध्यम से लखनऊ के महान रनर को आमंत्रित किया गया। इसमें आज 10-12 लोगों के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं। जिसमें 27 साल के राघवेंद्र सिंह और बजरंग सिंह की पत्नी आशा सिंह भी शामिल हैं। हालाँकि आशा सिंह पहली बार बोस्टन क्रिस्टोफर का हिस्सा बनीं।

आशा सिंह हाउस वाइफ से बनी रनर
आशा सिंह मूल रूप से अयोध्या के टिकरी गांव में रहने वाली हैं। पिता की पोस्टिंग चोरी के स्टील प्लांट में होने की वजह से जहां से पूरी पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी होने के बाद बजरंग सिंह से शादी हो गई। आशा सिंह हाउस वाइफ घूम रही हैं। पति के अंतिम संस्कार तक अपनी साड़ी की जिम्मेदारी पूरी कर ली गई थी। इसके बाद 50 साल की उम्र में पति के साथ रनिंग शुरू हो गई और नए कीर्तिमान रचाए चले गए। कर्नल बजरंग सिंह और उनकी पत्नी आशा सिंह साल 2016 से अब तक 125 से ज्यादा रीजनल, नेशनल और इंटरनेशनल मार्शल का हिस्सा बन चुके हैं।

आशा सिंह का रिकॉर्ड
2021, 2021 में लखनऊ में 12 घंटे में 114.7 किमी की दौड़ थी। ये इंडिया का रिकॉर्ड रनिंग था। इसमें सभी वर्ग के लोग और सभी वर्ग के लोग शामिल थे। इसके बाद 4-5 दिसंबर 2021 को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में हिस्सा लिया। जहां पर 24 घंटे में 179 किलोमीटर की दौड़ लगाई गई। इसके आधार पर जुलाई 2022 में बेंगलुरु में होने वाली एशिया रैंकिंग में सिलेक्शन हो गया।

इसके बाद एशिया-ओसियाना के विशाल 7 देशों में आशा सिंह ने भाग लिया। सबसे अधिक उम्र की आशा थी। जिसमें 24 घंटे में 181 किमी रेस भारत को सिल्वर मैन्स मेडल शामिल है। 2 अक्टूबर, 2022 को विश्व नामांकन में भारत का उदय हुआ।

यूएसए में डेमोक्रेट से पहले हो गया था सड़क हादसा
2020 में बजरंग सिंह और आशा सिंह डेमोक्रेट भाग लेंगे यूएसए क्षेत्र। जहां पर सड़क पर प्रैक्टिस कर रही थी। तभी एक सवार ने उनसे टक्कर मार दी। जिससे उनका बायाँ कंधे टूट गया। हालाँकि कोविड की वजह से आदर्श कैंसिल हो गया। लेकिन आज भी शोल्डर के डिस्लोकेट हो जाने की वजह से दर्द बना रहता है।

ये तस्वीर लंदन के मशहूर शख्स की है।  इसके नाम में दुनिया के सबसे प्रमुख 6 नाम शामिल हैं।

ये तस्वीर लंदन के मशहूर शख्स की है। इसके नाम में दुनिया के सबसे प्रमुख 6 नाम शामिल हैं।

लड़कियों की पढ़ाई पर खर्च स्टॉक प्राइज़ मनी
आशा बताती हैं कि आदर्श से मिलने वाली प्राइज मनी को लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करना होगा। उनकी धनराजी देवी फाउंडेशन नाम की संस्था है। जिसके लिए बर्लिन फॉर गर्ल एजुकेशन के नाम से ‘चैंपियन’ भी शुरू हो गया है। संस्था के माध्यम से अभी एक लड़की की पढ़ाई का खर्च उठा रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया पर भी कंपनियां चल रही हैं। जो भी शामिल है, वह है अंडरस्टैंडिंग गर्ल्स की पढ़ाई।

वहीं बजरंग सिंह की तस्वीरें भी 2018 में बड़े लड़के का बेटा हुआ, जिसे देखकर अमेरिका गए थे। वहां उस समय ट्रेल रनिंग चल रही थी। जिसमें सबसे पहले आया। ट्रेल रनिंग के बारे में बताया गया है कि डेमोकेट-फुटे वे पर ले जाया जाता है। जो जंगल के बीच में होता है। ट्री वैगारा समुझले समूहों को फ़ंडते हुए इसे पूरा करना जारी रखें।

शुरुआत पुणे से हुई लेकिन नासिक को कर्मभूमि बनाया गया
बजरंगी छात्र पुणे में आखिरी पोस्टिंग के कारण वहां से शुरू हुए हैं। पुणे में रेस हो रही थी तो वहां भाग लिया। लखनऊ में अपना घर है, तो अंतिम रूप से अलग होने के बाद छोड़ दिया गया। बजरंग सिंह लखनऊ से करीब 150 किमी दूर सुल्तानपुर में रहते हैं।

बच्चों के लिए आदर्श में क्या भविष्य है…
ओवर ऑल रनिंग की बात है बजरंग इंजीनियर। जो शॉर्ट रनिंग रॉकेट्स की रेस हैं, या आर्किटेक्चरल रॉकेट्स तक हैं। जो ओलिंपिक रैंकिंग में भी शामिल हैं। उसके नीचे जो एशियन रैंकिंग या इसी तरह की रेस होती है। इसमें सरकार से समर्थन मिलता है।

इसमें जो युवा नेशन के प्रतिनिधि कर सकते हैं। एशिया रैंकिंग या विश्व रैंकिंग तक की रैंकिंग। उनके लिए बहुत अच्छा है। लेकिन जो लंबी रेस है, वो इंडिया में कुछ समय पहले ही शुरू हुई है। जिसमें लोग हिस्सा लेने लगे हैं। भारत में ही नहीं दुनिया में भी जो लॉन्ग स्ट्रेंथ रेस हैं, उनमें शामिल कलाकार थोड़े मुश्किल हैं। लेकिन कोई भी टॉपिक पोस्टलाइजेशन लेने की क्षमता मौजूद नहीं है, तो वैज्ञानिक सोच हो सकती है।

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