POLITICS

5 हजार से ज्यादा इंजेक्शन लगाकर बचाई युवक की जान:बॉडी में था 600ML कीटनाशक, डॉ. बोले

  • Hindi News
  • Local
  • Rajasthan
  • Pali
  • Farmer’s Life Saved By Giving More Than 5 Thousand Injections Farmer’s Life Saved By Giving More Than 5 Thousand Injections

पालीएक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक
डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि अमेरिकन जनरल बुक के हवाले से कह सकते हैं कि यह दुनिया का पहला केस है, जिसमें मरीज को इतने ज्यादा इंजेक्शन लगाए गए। - Dainik Bhaskar

डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि अमेरिकन जनरल बुक के हवाले से कह सकते हैं कि यह दुनिया का पहला केस है, जिसमें मरीज को इतने ज्यादा इंजेक्शन लगाए गए।

राजस्थान के पाली जिले के चांचोड़ी हाल मोरड़ी (रानी) गांव में 33 साल के युवक ने 13 अगस्त को कीटनाशक (ऑर्गेनोफॉस्फोरस) पी लिया था। उसे गंभीर हालत में हॉस्पिटल लाया गया। उसके शरीर में 600ml कीटनाशक था। बचने की उम्मीद कम थी। डॉक्टरों ने 26 दिन में 5 हजार से ज्यादा इंजेक्शन लगाए। आखिरकार युवक की जान बच गई। गुरुवार को युवक को डिस्चार्ज कर दिया गया।

डॉ. गर्ग बोले- न्यूयॉर्क के बाद पाली में हुआ ऐसा कारनामा
पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि जांच में पता चला कि किसान की बॉडी में करीब 600 ML ऑर्गेनोफॉस्फोरस है। ऑर्गेनोफॉस्फोरस नाम का यह कीटनाशक इतना जहरीला होता है कि फसल पर 3 महीने तक कीड़े नहीं लगने देता। कीटनाशक की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि युवक का बचना मुश्किल था।

युवक को 14 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। अमेरिकन जनरल बुक के हवाले से कह सकते हैं कि यह दुनिया का पहला केस है, जब इस तरह के केस में इतने ज्यादा इंजेक्शन लगाए गए।

पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के डॉ. प्रवीण गर्ग और कीटनाशक पीने वाला मरीज। गुरुवार को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है। अस्पताल की ओर से मरीज की पहचान उजागर नहीं की गई।

पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के डॉ. प्रवीण गर्ग और कीटनाशक पीने वाला मरीज। गुरुवार को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है। अस्पताल की ओर से मरीज की पहचान उजागर नहीं की गई।

26 दिन में 5 हजार से ज्यादा इंजेक्शन लगाए
डॉ. प्रवीण गर्ग ने बताया कि मरीज को 26 दिन में 5 हजार से ज्यादा एंटी डोज ड्रग एट्रोपिन के इंजेक्शन लगाए गए। जहर का असर कम नहीं होने पर लगातार इंजेक्शन लगाए जाते रहे। इसके बाद मरीज को ICU में मैकेनिकल वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर इलाज शुरू किया। करीब 10 दिन बाद युवक के सांस लेने की ट्यूब ब्लॉक हो गई थी। इस पर गले में छेद कर ट्रैकियोस्टोमी किया गया। गले के छेद से मरीज को ऑक्सीजन और मुंह में नली लगाकर लिक्विड पहुंचाया गया।

इससे पहले न्यूयॉर्क में आया था ऐसा केस
दुनिया में इससे पहले अमेरिका के न्यूयॉर्क में इसी कीटनाशक की 300 ML मात्रा पी लेने वाले मरीज को 8 दिन में 760 इंजेक्शन लगाए गए थे। मेडिसिन डिपार्टमेंट की टीम ने जहर कम करने के लिए पहले ही दिन से वेंटिलेटर पर लेकर युवक को एंटी डोज ड्रग एट्रोपिन के इंजेक्शन लगाने शुरू कर दिए थे।

हर घंटे 50 इंजेक्शन लगे
डॉ. गर्ग ने बताया- शुरुआत के 3 दिन तक लगातार हर घंटे 50 इंजेक्शन लगाए गए। रोजाना करीब 1200 इंजेक्शन होते हैं। इसमें नर्सिंग स्टाफ ने भी काफी मेहनत की। 1-1 ML के 50 इंजेक्शन फोड़कर एक डोज बनाकर हर घंटे मरीज को देते रहे। धीरे-धीरे इंजेक्शन का डोज कम किया गया।

उन्होंने बताया कि कभी देरी होती तो मरीज के शरीर में जहर का स्तर बढ़ जाता और बेहोश हो जाता था। इंजेक्शन लगाते ही जहर का स्तर कम होता और होश में आने लगता था। टीम की मेहनत रंग लाई और 20वें दिन मरीज के शरीर से जहर खत्म हुआ तो वेंटिलेटर हटा लिया गया।

मरीज को 26 दिन के बाद गुरुवार को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

मरीज को 26 दिन के बाद गुरुवार को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

माता-पिता के निधन के बाद बहन के पास रह रहा था युवक
युवक के माता-पिता का निधन हो चुका है। वह अपनी बड़ी बहन के पास रह रहा था। हॉस्पिटल में 26 दिन तक बहन और उसके बच्चों ने युवक की सेवा की। युवक खेती के अलावा मार्बल फिटिंग का भी काम करता है। बहन ने कहा कि हॉस्पिटल में मेरे भाई को बचाने के लिए डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ ने जितने प्रयास किए, उसकी जितनी तारीफ करूं कम है।

टीम में शामिल डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ
डॉ. प्रवीण गर्ग, डॉ. दिनेश सीरवी, डॉ. भरत सेजू, डॉ. भाविसा, डॉ. राजकुमार, वार्ड प्रभारी गंगाराम सोनगरा, धनराज पटेल, प्रकाश बोस, मनीष पंवार, राहुल जोशी आदि स्टाफ ने मरीज के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Back to top button
%d bloggers like this: