संसद के गलियारे में वरुण और डिंपल की मुलाकात के क्या हैं मायने? UP की राजनीति में होगा बड़ा बदलाव!
Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के फायरब्रांड नेता वरुण गांधी एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले रखते हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ दूसरा है। पिछले दो दिन से उत्तर प्रदेश से दिल्ली तक के सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि वरुण गांधी अपने सियासी करियर को लेकर कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं।
इसी बीच गुरुवार को संसद भवन के गलियारे की एक तस्वीर आजकल बहुत चर्चा का विषय बनी हुई है। उस तस्वीर के बहुत से सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक जानकार इसके नए समीकरण भी देख रहे हैं। यह तस्वीर है पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी और मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव की मुलाकात की। दोनों मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए संसद भवन पहुंचे थे। इस दौरान दोनों के बीच कुछ मिनट बातचीत भी हुई।
लखनऊ में बैठक करने के बाद दिल्ली पहुंची थीं डिंपल
डिंपल यादव एक दिन पहले ही सपा की लखनऊ में हुई एक प्रमुख बैठक में शामिल होने के बाद दिल्ली पहुंची थीं। वरुण और डिंपल की इस मुलाकात को सपा से बढ़ती नजदीकी से जोड़कर देखा जा रहा है। अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सांसद वरुण गांधी पहले भी सपा मुखिया अखिलेश यादव की तारीफ कर चुके हैं।
चर्चा यह भी है कि अखिलेश यादव वरुण को सपा में शामिल कर बीजेपी को जवाब देने की कोशिश कर सकते हैं। क्योंकि हाल ही में सपा के कई साथी अखिलेश का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। वरुण खुद भी अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुखर हैं। सियासी गलियारों में उनकी टिकट कटने की चर्चाएं भी होती रहती हैं।
मिशन-24 में जुटीं डिंपल
वहीं डिंपल यादव खुद भी सपा के लिए मिशन-24 के लिए जुट गई हैं। मंगलवार को ही उन्होंने पार्टी की एक प्रमुख बैठक में हिस्सा लिया। सामान्यत: पार्टी की मीटिंग से बाहर रहने वालीं मुलायम परिवार की बहू डिंपल प्रवक्ताओं की इस बैठक में भाग लेती नजर आईं। उन्होंने सपा की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह के साथ बात की। मौजूदा सियासी मुद्दों पर मंथन किया। इस दौरान उन्होंने अपने विचार भी रखे। पार्टी की महिला विंग को मजबूत करने की बात कही।
इस बैठक के बाद दिल्ली पहुंचकर वरुण गांधी से मुलाकात कर बातचीत करने के मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि डिंपल वरुण और अखिलेश की मुलाकात भी करवा सकती हैं। जिससे 2024 को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सके। डिंपल खुद भी पार्टी में अब मजबूत भूमिका अदा करती दिखाई दे रही हैं। ऐसे में दो सियासी घरानों की मुलाकात सियासत का नया रास्ता खोल सकती है।
वरुण कर चुके हैं अखिलेश की तारीफ
वरुण ने पिछले दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, ‘मैं किसानों की आत्महत्या के मामले में कुछ करना चाहता था। मैं पूरा प्रदेश घूम रहा था, उस समय अखिलेश यादव की सरकार थी, मैंने उन्हें पत्र लिखा, अखिलेश यादव ने बड़ा मन दिखाया। उन्होंने अधिकारियों को किसानों का डेटा उपलब्ध करवाने के लिए कहा। अखिलेश ने परेशान किसानों की मदद भी की।’
सपा प्रमुख अखिलेश की तारीफ से सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर थी कि क्या वरुण गांधी ने यूपी में दूसरा विकल्प तलाश लिया है। हालांकि, तब तो सपा से कोई बात नहीं हुई, लेकिन अब डिंपल से मुलाकात के चर्चाओं का बाजार एक बार फिर से गर्म है।
लंबे वक्त से अपनी ही सरकार के खिलाफ हैं हमलावर हैं वरुण गांधी
बता दें, वरुण गांधी लंबे वक्त से अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ, युवाओं को नौकरी और किसानों की समस्याओं पर वो अपनी ही पार्टी को घेर रहे हैं। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन हुआ तो वरुण खुलकर किसानों के समर्थन में उतर आए थे। उन्होंने उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गन्ने का समर्थन मूल्य चार सौ रुपये करने की मांग करते हुए पत्र लिखा। जब गन्ने के मूल्य में 25 रुपए की बढ़ोतरी हुई, तो उसे 50 रुपए प्रति क्विंटल करने का पत्र लिख दिया था।
2009 में पहली बार पीलीभीत से सांसद बने वरुण
वरुण गांधी ने अपने करियर की शुरुआत 2009 में पीलीभीत से भाजपा सांसद के तौर पर की थी। इसके बाद उनका कद भाजपा में बढ़ता गया और उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया। उनकी पहचान फायर ब्रांड नेता के तौर पर भी हुई। 2015 में अचानक उनका ग्राफ नीचे गिरने लगा। पहले उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी पद से हटाया गया। उस वक्त चर्चा हुई कि वरुण ने बतौर पश्चिम बंगाल प्रभारी वहां हुई मोदी की रैली को सफल नहीं बताया था। इसके बाद वरुण ने 2016 में प्रयागराज में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने खूब पोस्टर-बैनर लगवा दिए तो इसे खुद को सीएम फेस की तरह पेश करना माना गया। बीजेपी हाईकमान उनसे नाराज हुआ तो वरुण ने खुद भी दूरी बना ली।
बीजेपी हाईकमान ने 2017 में वरुण को स्टार प्रचारक की सूची से हटाया
इसके बाद बीजेपी के संगठनात्मक कार्यक्रमों से उनकी गैरहाजिरी चर्चा का विषय बनने लगी। 2017 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर हो गए। तब से वह लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर हैं। 2019 में मोदी सरकार 2.0 बनी तो वरुण की मां मेनका गांधी को कैबिनेट में भी नहीं लिया गया। 2021 में वरुण और सुलतानपुर से सांसद मेनका दोनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति से भी बाहर हो गए। कहा यहां तक जा रहा है कि इस बीजेपी हाईकमान मेनका और वरुण को लोकसभा का टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं।