संयुक्त रसायन शास्त्र के शेयर धारक पर केश चल: एससी बोला
- हिंदी समाचार
- राष्ट्रीय
- सुप्रीम कोर्ट बनाम संयुक्त सचिव भ्रष्टाचार मामले (2014 से पहले) | डीएसपीई अधिनियम की धारा 6ए
नई दिल्ली4 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच (बाएं से)- जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ ने केस की सुनवाई की।
अब संयुक्त दल और उनके ऊपर के अमीरों का केस चल रहा है और बा कायदे की जांच हो रही है। इसके लिए एंटरप्राइज़ की स्वामित्व की भी आवश्यकता नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 11 सितंबर को यह आदेश दिया। कोर्ट के मुताबिक, यह आदेश 11 सितंबर 2003 से होगा।
जस्टिस संजय किशन कौल की पांच जजों की बेंच ने एकमत होकर ये फैसला सुनाया। कोर्ट टॉप ने अपने 2014 के जजमेंट का जिक्र करते हुए कहा कि तब दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबलिशमेंट (डीएसपीई) एक्ट 1946 के प्रोविजन को रद्द कर दिया गया था। यह प्रॉजेक्ट कुछ वारंटियों के विरुद्ध जांच से सुरक्षा (इम्यूनिटी) प्रदान करता है। अब आदेश पूर्व प्रभाव से लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट का 2014 का फैसला क्यों अहम है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2014 का फैसला 11 सितंबर 2003 को ही मान्य होगा। 11 सितम्बर 2003 को डीएसपीई एक्ट की धारा 6(ए) में संशोधन किया गया। इस धारा के अनुसार, केंद्र सरकार के लिए किसी भी जांच की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने मई 2014 में अपने आदेश में डीएसपीई अधिनियम की धारा 6ए(1) में लैंगिक उत्पीड़न की बात कही थी और कहा था कि धारा 6ए में ‘भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देना’ शामिल है।
संविधान पृष्टि को ये तय करना था
अब सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ को यह तय करना था कि किसी संयुक्त कोलंबिया परत के सरकारी अधिकारी को कानून के किसी भी प्रोविजन के तहत वकील से मिला संरक्षण टैब भी दर्ज किया गया है, अगर उसके वकील के बाद आगे चलकर उस कानून को ही रद्द कर दिया गया हो गया.
कोर्ट ने तय किया था कि दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की धारा 6(1) के तहत ज्वाइंट कंसल्टेंट लेवल के अधिकारी को सुरक्षा टैब भी मिला हुआ है, जो इस धारा के तहत दर्ज किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जिस अधिकारी को बर्खास्त करने से पहले गिरफ्तार किया गया था, उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।
आप भी पढ़ सकते हैं ये खबर…
एससी नेल्स गिल्ड केस में एफआईआर रद्द नहीं की: सिब्बल बोले- सेना की बनवाई रिपोर्ट पर एफआईआर क्यों; सरकारी बोली- राष्ट्रीय परिसंपत्तियाँ जारी की गईं

स्टॉकहोम सरकार की ओर से कंपनी गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) के सदस्यों के खिलाफ आज (11 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट में एफआईआर दर्ज की गई। डोनोस गिल्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि रिपोर्ट में भारतीय सेना की अपील की गई थी। इसलिए इसके लिए स्टॉक एक्सचेंज पर मुकदमा दायर नहीं किया जाना चाहिए। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह किसी भी एफआईआर को रद्द नहीं कर रही है। बल्कि मामले को सरकारी पासपोर्ट बनाने की संभावना तलाश रही है। सीजेआई देवी चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पूरी खबर पढ़ें…