विपक्षी दल का नाम-निशान और संप्रदाय की जातीयता पर आज की सुनवाई: शिंदे को मिला था पार्टी का सिंबल और नाम, इसी से जुड़े गुट को दोस्त
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भाजपा के नाम-निशान और जातीयता की पर सुनवाई आज:शिंदे को मिला था पार्टी का सिंबल और नाम, इससे जुड़े दोस्त
मुंबई3 घंटे पहले
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16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली उम्मीदवार बनाया। साथ ही शिंदे गुट को बीजेपी का नाम और तीर-कमान का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उधमी गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
विपक्षी शिंदे और यूपी गुट के बीच विवाद को लेकर आज 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। एक फॉर्म में शिंदे गुट को पार्टी का नाम और सिंबल का इस्तेमाल करने से संबंधित जानकारी दी गई है।
वहीं, दूसरी ओर एकनाथ शिंदे गुट के 16 बैच को आयोग्य घोषित करने की मांग से जुड़ी पूर्णविचार फाइल है। इसे यूसुफ़ गुट के नेता सुनील प्रभु ने पदच्युत कर दिया। सीजेआई देवी चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच केस पर सुनवाई।
कांग्रेस नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी पर अपना दावा कर दिया. 16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली उम्मीदवार बनाया। साथ ही शिंदे गुट को बीजेपी का नाम और तीर-कमान का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उधमी गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी रिजर्व पर सर्वोच्च न्यायालय ने करीब 4 महीने पहले फैसला सुनाया था। जिसमें कोर्ट ने बागी रजिस्ट्रार के चयन पर निर्णय लेते हुए उसे छोड़ दिया था। वहीं, युसुथ गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका पर फिर से विचार करने की अपील की थी।

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मामले की सुनवाई के लिए भाजपा के दोनों गुटों के 54 नंबर विधानसभा क्षेत्र के सेंट्रल हॉल में पेशी का नोटिस भेजा था।
चुनावी सभाओं की सूची
महाराष्ट्र में विपक्षी शिंदे गुट और यूपी गुट की ओर से एक-दूसरे के बैच को अयोग्य घोषित करने की 14 सितंबर को सुनवाई हुई। यह संसदीय क्षेत्र के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सेंट्रल हॉल में विधानसभा की बैठक की।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मामले की सुनवाई सुबह 10:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक हुई। इसके बाद शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने मीडिया से कहा- हमें यूपी गुट के ओर से दस्तावेज नहीं मिले हैं.
जवाब में गुट गुट के नेता रशियन वायकर ने कहा कि यह शिंदे गुट की रणनीति का हिस्सा है। इस विधान सभा अध्यक्ष का काम है कि वो दोनों गुटों पर केस से जुड़े दस्तावेज दावा दायर करते हैं। हम चाहते हैं कि इस मामले में 34 पदों पर नियुक्तियां की जाएं, एक साथ सुना जाए।

मामले की सुनवाई के दौरान गुटों के खुलासे को सेंट्रल हॉल में अलग-अलग जगह पर बदनाम किया गया।
54 बेंचमार्क को नोटिस भेजा गया था
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मामले की सुनवाई के लिए बीजेपी के दोनों गुटों के 54 नंबरों को नोटिस भेजा था. जिसमें सभी कलाकारों को विधानभवन में पेश करने का निर्देश दिया गया था। इस दौरान दोनों गुटों के नेता और उनके वकील मौजूद रहे। इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते तक पूरी हो चुकी है।
14 सितंबर की सुनवाई में क्या-क्या हुआ
केस की सुनवाई के दौरान सभी विधायकों के वकीलों के सीरियल नंबर दिए गए थे। आगे की सुनवाई और कार्रवाई के लिए आपका व्हाट्सएप नंबर और ई-मेल जानकारी दी गई है। दोनों गुटों के नामों को सेंट्रल हॉल में अलग-अलग जगह पर रखा गया था। इसके बाद उनका बयान दर्ज किया गया।

ऐसे, पूरा मामला
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर 2019 में चुनाव हुए थे। बीजेपी 106 नामचीन के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी। मुख्यमंत्री पद को लेकर विपक्षी और भाजपा गठबंधन में बात नहीं बनी पाई। 56 बांसवाडी वाली कांग्रेस ने 44 नालायक वाली कांग्रेस और 53 नालायक वाली एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार बनाई।
शिंदे, बीजेपी के उन नेताओं में शामिल थे, जो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के खिलाफ थे। 2019 में उद्धव ने शिंदे को विधायक दल का नेता बनाया था। उस वक्त माना जा रहा था कि शिंदे ही महाराष्ट्र के सीएम चाहेंगे, लेकिन एनसीपी और कांग्रेस यूपी को ही सीएम बनाना चाहते थे। इस तरह शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने-बनते रह गए।
मई 2022 महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री और बीजेपी नेता एकनाथ शिंदे ने 39 नतीजों के साथ बगावत कर दी। एकनाथ शिंदे ने नाबाम रेबिया केस का लाभ उठाया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने सत्ता से बागी नाम की सरकार बनाई थी। साथ ही शिंदे ने महाराष्ट्र जिले में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, ताकि डिप्टी स्पाइसर शिंदे गुट के 16 रजिस्ट्रार के अयोग यता पर निर्णय ना ले।
इसी के बीच गवर्नर ने उषा ठाकुर को बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा। उज़्बेकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय इसके ख़िलाफ़ था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने गवर्नर के फैसले को ज़िंदा कर दिया। इसके बाद युसुफ़ ने छुट्टी दे दी थी। गवर्नर ने अब शिंदे गुट को तत्काल बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा।
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