यूपी में BJP काट सकती है एक-चौथाई सांसदों के टिकट! जानिए किस आधार पर बनाई जा रही लिस्ट
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्ष की तरफ से एकजुटता की बातें की जा रही हैं। विपक्षी दल अपनी आगे की रणनीति के लिए बेंगलुरु में जुटने वाले हैं। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य यूपी में विपक्ष की रणनीति क्या होगी, इसको लेकर भी सभी की नजरें बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक पर रहेंगी। अब खबर है कि विपक्ष की रणनीति और एंटी इन्कम्बन्सी को देखते हुए बीजेपी यूपी में एक-चौथाई से ज्यादा सांसदों के टिकट काट सकती है।
सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इन सासंदों में कुछ केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं। बीजेपी के इन सासंदों में से ज्यादातर यूपी वेस्ट और यूपी ईस्ट से संबंध रखते हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा ही बीजेपी अन्य राज्यों में भी प्लान कर रही है। सूत्रों ने बताया कि जिन नेताओं ने 75 साल की उम्र सीमा पार कर ली है या जो सांसद जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से दूर हैं और अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली नहीं रहे हैं, उन्हें इस बार निराशा झेलनी पड़ सकती है।
इसके अलावा ऐसे नेताओं के टिकट भी काटे जा सकते हैं, जिन्होंने 2019 में भले ही बड़े चेहरों को मात दी थी लेकिन वह विवादों की वजह से खबरों में बने रहे। कहा जा रहा है कि ऐसे सांसदों की लिस्ट पहले ही बनाई जा चुकी है और उम्मीदवारों के चयन से पहले यह लिस्ट पार्टी लीडरशिप को सौंप दी जाएगी। सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा योगी सरकार के उन विधायकों और मंत्रियों की लिस्ट भी बनाई जा रही है, जिन्हें सोशल बैलेंसिंग के लिए लोकसभा टिकट देने पर विचार किया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्रियों को भी दिया जा सकता है झटका
BJP के एक सीनियर नेता ने बताया कि कई सांसद जो वर्तमान में मंत्री हैं, उनका टिकट काटा जा सकता है लेकिन बाद में उनमें से कुछ को राज्यसभा के जरिए संसद तक पहुंचाया जा सकता है। इस समय यूपी के 11 सांसद मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं- इनमें लखनऊ से राजनाथ सिंह, अमेठी से स्मृति ईरानी, चंदौली से महेंद्र नाथ पांडे, गाजियाबाद से वीके सिंह, फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति, मुजफ्फरनगर से संजीव कुमार बालियान, महाराजगंज से पंकज चौधरी, आगरा से एसपी सिंह बघेल, जालौन से भानू प्रताप सिंह वर्मा, मोहनलालगंज से कौशल किशोर और खीरी से अजय कुमार मिश्रा टेनी शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दलों के उम्मीदवारों के साथ-साथ सोशल फैक्टर्स को देखते हुए बीजेपी अपने उम्मीदवारों का चयन करेगी। सांसदों के प्रदर्शन का आंकलन करने के लिए बीजेपी अपने बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक को ध्यान में रख रही है। इस फीडबैक में सांसदों के पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेने पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
एक प्रमुख कार्यक्रम जिसमें बीजेपी सांसदों की भागीदारी देखी जा रही है, वह जून से चल रहा महा जनसंपर्क अभियान है। इस अभियान के तहत बीजेपी नेताओं को लोगों के पास जाने और उनसे मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में बात करने का निर्देश दिया गया है।
बीजेपी के एक नेता ने कहा, “हर सासंद की बहुत नजदीकी से मॉनिटरिंग की जा रही है। यह भी देखा जा रहा है कि उन्होंने अपने MPLAD में से कितना फंड इस्तेमाल किया है और किस लिए इस्तेमाल किया है। ऐसी खबरें हैं कि कुछ सांसद पार्टी की वोटर आउटरीच से जुड़ी गतिविधियों में रुचि नहीं ले रहे हैं और उनकी रैलियों में भीड़ कम है।”
उन्होंने कहा कि सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के नाम के आधार पर जीत हासिल करने के अपने आत्मविश्वास को लेकर बीजेपी ने कोई खास विचार नहीं किया है। उन्होंने कहा, “पार्टी कोई चांस नहीं लेना चाहती है और इसीलिए एंटी इन्कम्बन्सी फैक्टर को कम करने और वोटर्स को नई उम्मीद देने के लिए नए चेहरों को चुन सकती है।”
2019 में बीजेपी जीती थी 62 सीटें
लोकसभा चुनाव 2019 में यूपी में बीजेपी 80 में से 62 सीटों पर जीतने में सफल रही थी। बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) को 2 सीटें मिली थीं। राज्य में बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़े सपा-बसपा को कुल मिलाकर 15 सीटें मिली थीं। कांग्रेस पार्टी सिर्फ रायबरेली की सीट जीत पायी थी। राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे।
गठबंधन को लेकर भी चल रही चर्चा
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन कर सकती है। ऐसी चर्चाएं जोरों पर हैं। निषाद पार्टी को भी सीटें दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा बीजेपी ने यूपी वेस्ट में जयंत चौधरी की पार्टी के लिए भी दरवाजे बंद नहीं किए हैं। पार्टी के एक नेता ने बताया कि अगर जयंत चौधरी के साथ गठबंधन होता है तो यूपी वेस्ट में अपने कुछ जाट सांसदों की जगह दूसरी जातियों के उम्मीदवार उतार सकती है। पार्टी का मानना है कि RLD के साथ आने से उन्हें जाट समुदाय पूरी तरह से मिल जाएगा।