यूपी में घोसी की हार का असर:भाजपा में नई ज्वॉइनिंग लटकी, राजभर के आदर्श भविष्य पर संकट; एनडीए सहयोगियों की प्रयोगशाला पॉलिटिक्स पर ब्रेक
न2 घंटे पहलेलेखक: ममता त्रिपल
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घोसी पिरामिड के साथी दल के साथ ही सरकार में शामिल सहयोगी दल अपनी ढपली-अपना राग अलापने में लगे हुए हैं।
दूसरी तरफ घोस की जीत के बाद इंडिया अलायंस में सपा का सहयोगी दल हुआ, जो कि चुनाव में छूट के साथ पार्टी का मजबूत आधार बनेगा।
‘मिशन-80’ की रणनीति में अंतिम चरण एनडीए के घटक का निर्धारण
इस हार के बाद भारतीय जनता पार्टी का थिंक टैंक जो यूपी में मिशन-80 की रणनीति पर काम कर रहा था, उन्होंने अपनी रणनीति में बदलाव करके उस पर काम करना शुरू कर दिया है।
मिशन-80 के लिए यूपी में शामिल सहयोगी दल अपना दल (एस), निषाद पार्टी और हाल ही में एक बार फिर से अस्तित्व का हिस्सा बनी सुभासपा ने अपने अपने वोट शेयर के खाते से लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के लिए बीजेपी पर सहयोगी पॉलिटिक्स रणनीति के तहत काम कर रहे थे, मगर घोसी की हार के बाद इनमें से कोई भी काम नहीं हो रहा है।

घोषी हार के बाद चर्च के आश्रमों में भाजपा में शामिल हुए
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तहत किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।
घोसी घोष के बाद भी कुछ कैथोलिक नेता लगातार भाजपा के संपर्क में हैं, मगर उनकी सगाई का मामला शोर कोल्ड बस्ते में डाल दिया गया है। सहयोगी के नेताओं की तरफ से जिस तरह के बयान आ रहे हैं, उनका साफ कहना है कि वो हार का पूरा ठीकरा भाजपा मित्रा दारा चौहान की छवि के सिर फोड़ रहे हैं।
ओम प्रकाश राजभर के सुझाव भविष्य पर भी कई सवाल हैं

ओम प्रकाश राजभर, सुभासपा अध्यक्ष
बड़बोले ओम प्रकाश राजभर के लिए तो ‘ना खुदा ही मिला ना विसाले सनम’ वाली लाइन सही साबित हो रही है। वेस्ट इंडीज के वैज्ञानिकों ने सीधे-सीधे अपने उल्टे सीधे रॉकेट से भाजपा को बधाई देने वाले ‘पियरका अंकल’ ओम प्रकाश राजभर का ‘करेजा रुख’ बयान दिया है।
बामसेफ आंदोलन से जुड़े और एक समुद्र तट में कांशीराम और आशुतोष के साथ जुड़े रहे ओम प्रकाश राजभर ने 2009 में समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ते हुए सोनेलाल पटेल के साथ मिलकर अधिकार मंच बनाया था। बाद में भारतीय समाज पार्टी ने अपनी अलग राजनीति की शुरुआत की। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव में पहली बार सुभासपा के चार नेता सदन थे।
2019 में भाजपा हाईकमान से बात नहीं बनी तो रिपार्ट के दोस्ती को लेकर सुभासपा ने पॉलिटिक्स का सहारा लिया अपने 39 पार्टी मैदान में उतार दिए। हालाँकि बीजेपी ने आखिरी समय तक घोसी सीट ओपी राजभर के लिए छोड़ दी थी। लेकिन इस बार घोसी विधानसभा विधानसभा के हार के बाद सेसोम चुनाव में कलाकार को लेकर राजभर की मोलभाव की साख कमतर दिख रही है।

घटक भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने पर नहीं बन पा रही बात
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी 78 और अपने दल (एस) दो-दो पार्टियों पर चुनाव लड़ रहे थे, जिसमें बीजेपी 62 सीटों पर और अपनी पार्टी दो पार्टियों पर चुनावी जीत हासिल कर रही थी। लोकसभा चुनाव में अपने हिस्से में बहुमत बनाने के उद्देश्य से सुभासपा और निषाद पार्टी काफी जतन कर रहे हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि सहयोगी दल कमल के फूल चुनावी लड़ाइयों में शामिल हैं, जिस पर सुभासपा और निषाद पार्टी का गठबंधन ही एक मत हो रहा है।

राजभर का बयान और जातिगत वोट वाले सर्वे से नाखुश यूपी सरकार
नए पैनतरा में रहने वाले सुभासपा ने तो अपनी कुछ सर्वे करने वाली शादी के बाद एक विश्लेषण के माध्यम से करवा तैयार कर उसे वायरल कर दिया। इसमें दिखाया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप के बाद भी राजभर वोट 65 फीसदी तक बीजेपी के वोट के फेवर में पड़े हैं।

घोसी इंटरव्यू के बाद राजभर ने इस सर्वे को ट्वीट किया
इस विश्लेषण में दिखाया गया है कि साएदों ने ब्राह्मणों और राजपूतों ने भाजपा को 5-10 प्रतिशत वोट दिए हैं, उनका भी अपवाद स्वरूप है। पासपोर्ट की बुकिंग तो इस सर्वे और राजभर के नित नए उल जलूल मस्जिद से यूपी सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुश नहीं हैं। इस हार के बाद उनके मंत्री बनने का सपना अब देखने को मिल रहा है।
संजय निषाद भी घोसी की हार का ठीकरा दारा सिंह और राजभर पर फोड़ रहे

संजय निषाध्द, निषाद पार्टी के अध्यक्ष
इसी तरह की बात है कि निषाद पार्टी के मुखिया और यूपी सरकार में मत्स्य मंत्री संजय निषाद भी हरमंच से ये खिलाड़ी सुने जा सकते हैं कि निषादों का पूरा वोट भाजपा के दिग्गजों को मिला, लेकिन दारा सिंह चौहान की दलबदलू छवि और सहयोगी दलों के नेताओं के बड़बोले बयान के लाइव हार का मुँह देखना। इस बयान का सीधा मतलब यह है कि नॉधिश डेमोक्रेट पर उनकी ही छवि मगर बकियों की गलती के हार का मुंह देखना है।
मनीष शुक्ला बोले- अभी भी मजबूत

मनीष शुक्ला, भाजपा प्रवक्ता
भाजपा प्रचारक मनीष शुक्ला का कहना है कि भाजपा कोई भी चुनावी सामूहिक नेतृत्व के साथ लड़ती है। विपक्षी गठबंधन अभी भी मजबूत है, घोसी में जनता के जजमेंट का सम्मान करते हैं। हम लोग पूरी तरह से 80 सीटों के लिए नामांकन करते हैं पर तैयारी कर रहे हैं।
जिला पंचायत चुनाव में हार से भी बेहतर एनडीए की योग्यता
पॉलिटिकल स्टैंडर्ड प्रोफेसर रविकांत मान रहे हैं कि घोषी और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। जिसमें इंडिया ने बेहतरीन इंटरेस्ट से जीत दर्ज की है। भाजपा के भीतरखाने की चिंता सिर्फ घोसी के साथ रहकर नहीं की गई है, बल्कि प्लास्टिक, बांसुरी और जालौन जिले की पंचायत के रूप में मिली हार भी एक वजह है। क्योंकि इनका घोस ही स्ट्रैटेमी गढ़ था और उसी गढ़ में सेंधमारी हो गया है।
भाजपा और उसके सहयोगी दल के आश्रम हर जगह बुरे तरह से हारे हैं। नोएडा में सपा ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता, विपक्ष में अपना दल (एस) से सपा ने सीट छीनी। इसके साथ ही वार्ड 16 की सीट जालौन की पहाड़ी गंज सीट, बगीचे और बहेड़ी की सीट के भी टुकड़े बताए गए हैं। घोसी इलेक्शन को लिटमस टेस्ट में कहीं से भी गलत नहीं कहा जाएगा, क्योंकि बीजेपी की अभी तक की साडी रणनीति पर इस चुनाव नतीजों ने पानी फेर दिया है।
नोकझोंक बोले- अपनीएगी घोसी की रणनीति में सोमोपलोकेशन
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी का घोसी जीत के बाद से जोश हाई है। साल 2017 में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता सत्य सेठ के बाद से लगातार हर चुनाव में सपा से हार मिल रही थी मगर इस विधानसभा की जीत ने उनके लिए बूस्टर का काम किया है।

पुनीश सिंह यादव, सपेरा शायरी
भास्कर से खास बातचीत में बताया गया कि समाजवादी और आदित्य (शिवपाल यादव के बेटे) में कोई अंतर नहीं है। सबमिट करना चाहते थे कि एसपी को नेशनल फलक पर एक बार फिर से सावधान रहें, हम वही काम में लगे हैं। समाजवादी पार्टी को घोसी चुनाव में हर तबके का वोट मिला है जो ये जाहिर करता है कि लोग बदलाव चाहते हैं।
समूह ने कहा कि भाजपा के सहयोगी दल के नेता ही हमारे स्टार प्रचारक बने हैं, अपनी प्रयोगशाला से हमारा काम आसान कर रहे हैं। सोशल मीडिया का जमाना है, अब हर आदमी हर बात, राय और सुनता है। जनता तय करती है कि इन जुमलेबाजों को सत्ता से स्थापित करना है। हम लोग नामांकन का चुनाव भी घोसी के चुनाव के अधिकार पर ही लड़ेंगे।
विपक्ष के लिए समाजवादी पार्टी की रणनीति में विपक्ष भी शामिल है
सूप के पैकेज के इंट्रेस्ट तो एसपी के फोकस इन पैकेज पर हैं जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का बहुत कम अपॉइंटमेंट का था। ऐसे लगभग 50 दरवाजे हैं, जिनमें से 38 दरवाजे पिछली बार में शामिल हैं। सपे ने इनमें से 35 जिताउ गेस्ट प्रोजेक्ट की हैं जिन पर वो तेजी से काम कर रही हैं। घोसी की जीत के बाद गठबंधन में भी सपा का दल बना, जो कि लोकसभा चुनाव में भारत के आराम की पार्टी का मजबूत आधार बनेगा।
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