मोदी मंत्रिमंडल में जल्द होगा बदलाव:सुशील मोदी-रविशंकर प्रसाद मंत्री बन सकते हैं; उन्हीं नेताओं को मौका मिलेगा, जिनकी वोटर्स में पकड़ होगी
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मोदी मंत्रिमंडल में जल्द होगा बदलाव:सुशील मोदी-रविशंकर प्रसाद मंत्री बन सकते हैं; उन्हीं नेताओं को मौका मिलेगा जिनकी वोटर्स में पकड़ होगी
नई दिल्ली2 महीने पहलेलेखक: अभिनंदन मिश्रा
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यह फोटो 3 जुलाई का है। दिल्ली के प्रगति मैदान कन्वेंशन सेंटर में PM मोदी ने कैबिनेट मिनिस्टर्स की मीटिंग बुलाई थी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में जल्द बदलाव हो सकता है। ये सभी बदलाव इस साल के आखिर तक होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किए जाएंगे। खास बात ये होगी कि मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलेगी, किसे नहीं, इसका पैमाना किसी मंत्रालय या मंत्री विशेष की सफलता-असफलता नहीं होगी।
भास्कर ने इस फेरबदल की अटकलों के बीच भाजपा के 3 मौजूदा केंद्रीय मंत्रियों और 2019 वाले पहले मंत्रिमंडल में शामिल रहे दो मंत्रियों से बात की। इसमें यह बात सामने आई कि पटना से रवि शंकर प्रसाद दोबारा मंत्री बनाए जा सकते हैं, वहीं उनके साथी सुशील मोदी को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव नवंबर में हैं, जबकि राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव दिसम्बर में होंगे।
पढ़िए इस चर्चा पर आधारित 3 बड़े अनुमान…
- मंत्रिमंडल में जगह पाने की काबिलियत का पैमाना होगा वोटर्स पर पकड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा ध्यान अब लोकसभा चुनाव पर है, इसलिए मंत्रिमंडल में आने वाले नेता की मतदाताओं पर पकड़ की काबिलियत सबसे अहम होगी, न कि हटाए जाने वाले नेता का प्रदर्शन। जो भी नेता आएगा उसकी जाति, प्रदेश में कार्यकर्ताओं-वोटर्स पर पकड़ और लोकसभा सीटों पर भाजपा की जीत की ताकत सबसे पहले देखी जाएगी।
- नए मंत्रिमंडल में एक-दो अपवाद भी होंगे लोकसभा सांसद और मंत्री के मुताबिक- जो भी नए नेता मंत्रिमंडल में जुड़ेंगे, उनके पास काम करने के लिए केवल 7 महीने होंगे। इतना वक्त तो किसी को यह समझने में लग जाता है कि उसे करना क्या है। इसलिए जो भी मंत्री पद की शपथ लेंगे, उनके पास अपने क्षेत्र में वोट लाने की काबिलियत देखी जाएगी। हालांकि, इसके एक या दो अपवाद भी हो सकते हैं।
- एक दिन पहले ही होगी नामों की पुष्टि सूत्रों के मुताबिक इसकी पूरी संभावना है कि पटना से लोकसभा सांसद रवि शंकर प्रसाद दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। उनके साथी और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी को भी कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की अटकलें तेज हैं। हालांकि, इसकी पुष्टि शपथ ग्रहण से एक दिन पहले ही होगी। जिनको हटाया जाएगा, उनका नाम भी तभी सामने आएगा। 2021 जुलाई को हुए फेरबदल में एक मंत्री दफ्तर आ चुके थे और उसके बाद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने फोन करके उनको बताया था कि अगले दिन होने वाले कैबिनेट विस्तार में उन्हें मंत्रिमंडल से हटाया जा रहा है।

रवि शंकर प्रसाद और राज्य सभा सांसद सुशील मोदी।
कैबिनेट मीटिंग में हिदायत- साल खत्म होने से पहले निपटा लें अधूरे काम
प्रधानमंत्री मोदी ने 3 जुलाई को दिल्ली के प्रगति मैदान में हुई कैबिनेट मीट में मंत्रियों से साफ शब्दों में कहा है कि जितने भी काम बाकी हैं, उन्हें साल खत्म होने से पहले निपटा लें, ताकि उन कामों को आधार बनाकर पर ही प्रधानमंत्री और पार्टी जनता के बीच जा सकें।
पूर्वी राज्य के एक लोकसभा सांसद; जिनके पास फिलहाल 2 मंत्रालय हैं, ने भास्कर को बताया कि इस मीटिंग में ही PM मोदी ने क्लियर कर दिया था कि मंत्रियों के पास दिसम्बर तक का ही वक्त है। इसलिए यह कहना गलत होगा कि जो हटाया जाएगा, वो अपने प्रदर्शन के कारण हटाया गया। आप यह देखिए कि उनकी जगह जो आएगा, उसके पास कितना समय रहेगा?
फेरबदल में बदलाव कारण क्या…
- BJP के सर्वे के मुताबिक बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में पार्टी को 2019 के मुकाबले सीटों का नुकसान हो रहा है। इस स्थिति को संभालने के लिए पार्टी प्रेसिडेंट जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने प्रधान मंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर पार्टी के कुछ नेताओं को इधर से उधर करने का फैसला लिया है।
- जुलाई 2021 में जो फेरबदल हुआ था, वो फरवरी में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रख के किया गया था। तब 12 मंत्रियों को हटाया गया था और 17 नए लोगों को मंत्री बनाया गया था। इनमें से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सर्बानंद सोनोवाल को कैबिनेट में लेने का अलग कारण था, लेकिन ज्यादातर लोग उनकी जाति और क्षेत्र में पकड़ और प्रभाव के आधार पर चुने गए थे।
- आज BJP के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि क्या नेता अपने क्षेत्र में चुनाव जिता सकता है? क्या उसकी जाति में उसकी पकड़ है? आप देख लीजिए जो नेता इन दो चीजों पर खरे नहीं उतरे, उन्हें ज्यादा समय के लिए जगह नहीं मिलती। इसके कुछ अपवाद हैं, पर अब पार्टी का यही एक नियम है।
मंत्रालय PMO के साथ समन्वय में काम करते हैं, PMO उन्हें माइक्रो मैनेज नहीं करता मौजूदा और पूर्व मंत्रियों ने कहा कि PMO केवल दिशा दिखाने का काम करता है। काम कैसे करना है, यह फैसला तो खुद मंत्री करते हैं। किसी भी फेरबदल में संगठन से लिया गया इनपुट सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि संगठन को पता है कि कार्यकर्ता को आगे बढ़ाने से ही पार्टी को जमीन पर फायदा होगा। इस बार फेरबदल भी इसी कसौटी पर होगा।
समय से पहले लोकसभा चुनाव कराने की अटकलों के बीच में यह मोदी सरकार का आखिरी फेरबदल होगा और इस को ध्यान में रखते हुए पार्टी के नेताओं ने कहा कि उन लोगों चुना जा रहा है जो भाजपा को ज्यादा से ज्यादा वोट दिलवा पाएंगे। इसलिए कुछ बड़े नामों को मंत्रिमंडल से हटाया जाएगा।
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कैबिनेट में फेरबदल की सुगबुगाहट- UP से 2 ब्राह्मण चेहरों को मिल सकती है जगह

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भाजपा ने पंजाब, आंध्र, तेलंगाना और झारखंड के अध्यक्ष बदले

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