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मिजोरम, लोहिया और चीन युद्ध के जरिए PM नरेंद्र मोदी ने दिया मणिपुर पर जवाब, बोले-ईस्ट हमारे लिए जिगर का टुकड़ा

PM Narendra Modi on Manipur: पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब के दौरान मणिपुर में जारी हिंसा पर बयान दिया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मणिपुर में अदालत का एक फैसला आया। उसके पक्ष-विपक्ष में जो परिस्थितियां बनीं उसमें हिंसा का दौर शुरू हुआ। बहुत परिवारों को परेशानियां हुईं, महिलाओं के साथ गंभीर अपराध हुए और यह अपराध अक्षम्य है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलवाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कोशिश कर रही है। जिस तरह से प्रयास चल रहे हैं, निकट भविष्य में शांति का सूरज जरूर उगेगा। मणिपुर फिर एकबार नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगा।

उन्होंने आगे कहा, “मैं मणिपुर के लोगों, माता, भाइयों, बहनों से कहना चाहुंगा कि देश आपके साथ है। यह सदन आपके साथ है। हम सब मिलकर इस चुनौती का समाधान निकालेंगे, वहां फिर से शांति की स्थापना होगी। मणिपुर विकास की राह पर आगे बढ़ेगा। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकारें हर संभव कोशिश कर रही हैं। मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आने वाले समय में मणिपुर में शांति बहाल होगी। मैं मणिपुर की महिलाओं और बेटियों सहित मणिपुर के लोगों से कहना चाहता हूं कि देश आपके साथ है।”

कांग्रेस पर प्रहार करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये वो लोग हैं जिन्होंने मां भारती के तीन टुकड़े कर दिए। ये वो लोग हैं, जब मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाना था, तब इन लोगों ने मां भारती की भुजाएं काट दीं। ये वो लोग हैं जिस वंदे मारतरम गीत ने मर-मिटने की प्रेरणा दी थी, तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इन लोगों ने वंदे मातरम गीत के भी टुकड़े कर दिए। ये वो लोग हैं, जो भारत के टुकड़ों की कामना करने वाले गैंग की मदद करते हैं। कांग्रेस का इतिहास मां भारती को छिन्न-भिन्न करने का रहा है।

‘मिजोरम में IAF के जरिए इंदिरा गांधी ने गिरवाए बम’

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 5 मार्च 1966 के दिन कांग्रेस ने मिजोरम में असहाय नागरिकों पर अपनी वायुसेना के माध्यम से हमला करवाया था। गंभीर विवाद हुआ था, कांग्रेस जवाब दें कि वो किसी दूसरे देश की वायुसेना थी कि क्या, मिजोरम के लोग अपने देश के नागरिक नहीं थे क्या। क्या उनकी सुरक्षा भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं थी। वायुसेना से निर्दोष नागरिकों पर हमला करवाया गया। आज भी मिजोरम में 5 मार्च को शोक मनाया जाता है। उस दर्द को मिजोरम भूल नहीं पा रहा है। कभी इन्होंने मरहम लगाने की कोशिश नहीं की, घाव भर नहीं पा रहा है। कभी उनको इसका दुख नहीं हुआ है। कांग्रेस ने इस सच को देश के सामने छिपाया है। कौन था उस समय- इंदिरा गांधी। अकाली तख्त पर हमला हुआ, यह हमारी स्मृति में है लेकिन उनको इससे पहले ही मिजोरम में इसकी आदत लग गई थी। नॉर्थ ईस्ट में वहां के लोगों के विश्वास की इन्होंने हत्या की है।

’62 का रेडिया प्रसारण आज भी लोगों के दिल में चूभ रहा है’

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1962 का वो खौफनाक रेडियो प्रसारण आज भी शूल की तरह नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के दिल में चूभ रहा है। 1962 में जब देश के ऊपर चीन का हमला चल रहा था, देश के हर कोने में लोग अपनी रक्षा के लिए भारत से अपेक्षा कर रहे थे, लोग अपने हाथों से लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरने हुए थे। ऐसी विकट घड़ी में पंडित नेहरू ने रेडियो पर कहा था ‘My heart goes out to the people of Assam…’ पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो प्रसारण आज भी असम के लोगों के दिल में चुभता है। उन्होंने कहा कि किस प्रकार से उस समय नहरू जी ने उन्हें अपने भाग्य पर जीने के लिए छोड़ दिया था।

‘लोहिया ने लगाया नेहरू पर गंभीर आरोप’

पीएम नरेंद्र मोदी ने भाषण के दौरान लोहिया का जिक्र करते हुए कहा कि लोहिया जी ने नेहरू जी पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि जानबूझकर नेहरू जी नॉर्थ-ईस्ट का विकास नहीं कर रहे हैं। उनके शब्द थे- ‘ये कितनी लापरवाही वाली और कितनी खतरनाक बात है 30 हजार स्क्वायर मील से बड़े क्षेत्र को एक कोल्ड स्टोरेज में बंद करके, उसे हर तरह के विकास से वंचित कर दिया गया है।’ लोहिया जी ने नेहरू पर ये आरोप लगाया था। कांग्रेस ने कभी वहां के लोगों को समझने की जरूरत नहीं की है। हमारी सरकार नॉर्थ ईस्ट के लिए समर्पित है।

‘कांग्रेस मणिपुर के हालातों की जिम्मेदार’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मणिपुर के हालात को ऐसे प्रस्तुत किया जा रहा है कि जैसे वहां बीते कुछ समय में ये स्थिति पैदा हुई है। वहां की समस्याओं की कोई जननी है तो वो है कांग्रेस। नॉर्थ-ईस्ट के लोग इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। कांग्रेस के शासन में उत्तर-पूर्व अलगाव की आग की बलि चढ़ गया था। जब मणिपुर में एक समय था कि हर व्यवस्था उग्रवादी संगठनों की मर्जी से चलती थी। तब वहां कांग्रेस की सरकार थी। सरकारी दफ्तरों में गांधी जी की प्रतिमा नहीं लगाने दी जाती थी। वहां स्कूलों में राष्ट्रगान नहीं होने के निर्णय किए जाते थे। कांग्रेस की पीड़ा सिलेक्टिव है। ये ना मानवता के लिए सोच सकते हैं और न ही देश के लिए सोच सकते हैं। इन्हें राजनीति के अलावा कुछ नहीं सुझता है।

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