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बंगाल में हिंसा से लेकर तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट तक, विपक्ष की राह में कई रोड़े

विपक्ष खुद को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक भी हुई थी लेकिन उसके बाद से विपक्षी एकता की राह बाधाओं से घिरती नजर आ रही है। 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक होने वाली है। हालांकि विपक्ष की राह में कई रोड़े हैं।

एनसीपी में टूट से विपक्ष परेशान

वैसे भी एनसीपी में फूट से विपक्षी दलों की एकता की कोशिशों को करारा झटका लगा है। विपक्षी खेमे के सबसे वरिष्ठ नेता एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) को एक बड़ा झटका लगा है और अब वह अपनी बिखरी हुई पार्टी पर नियंत्रण हासिल करने के लिए अपनी सारी ताकत लगा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के दौरान हिंसा, पंजाब के विजिलेंस विभाग द्वारा पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओपी सोनी की गिरफ्तारी और लैंड फॉर जॉब स्कैम में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट विपक्ष को काफी मुश्किल में डाल रही हैं। हालांकि विपक्षी दल इन परेशानियों को अपनी एकता के रास्ते में नहीं आने देने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं।

नीतीश कुमार कर रहे तेजस्वी का समर्थन

बिहार में सीएम नीतीश कुमार जो अपनी ‘स्वच्छ छवि’ के लिए जाने जाते हैं लेकिन वो बीजेपी के आरोपों के बाद भी तेजस्वी को समर्थन दे रहे हैं। नीतीश कुमार एकता का संदेश देते हुए सोमवार को तेजस्वी और उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव के साथ अपनी कार में मानसून सत्र के शुरुआती दिन में भाग लेने के लिए राज्य विधानसभा पहुंचे। ऐसा लगता है कि वह संकेत देना चाहते हैं कि महागठबंधन में कोई दरार नहीं है।

नीतीश कुमार कहते हैं कि अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा लेकिन कई बार उन्होंने खुद को मुश्किल स्थिति में पाया है। वहीं पंजाब में पूर्व डिप्टी सीएम ओपी सोनी की गिरफ्तारी ने राज्य कांग्रेस की परेशानी बढ़ा दी है। विधानसभा में विपक्ष के नेता (LOP) प्रताप सिंह बाजवा ने AAP सरकार पर कथित तौर पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

दूसरी ओर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने ओपी सोनी मामले पर चुप्पी साध रखी है। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पार्टी आलाकमान फिलहाल ऐसे मुद्दों को नजरअंदाज करना पसंद करेगा क्योंकि फोकस विपक्षी एकता के व्यापक मुद्दों पर है। ओपी सोनी की गिरफ्तारी और केंद्र के विवादास्पद दिल्ली अध्यादेश को लेकर कांग्रेस और AAP आमने-सामने हैं।

AAP और कांग्रेस में मतभेद

23 जून को पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक के बाद AAP ने घोषणा की थी कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से अध्यादेश का विरोध नहीं करती, तब तक पार्टी के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल होगा। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि बेंगलुरु बैठक से पहले पार्टी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर सकती है और संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान उसकी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में मतदान के दौरान हिंसा भी एक मुद्दा बना हुआ है। कांग्रेस और सीपीआई (एम) दोनों की प्रदेश यूनिट ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर राज्य में लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने इसपर अभी तक चुप्पी साधी हुई है।

सीपीआईएम- टीएमसी आमने सामने

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी पर हमला न करने को लेकर सतर्क थे और केवल यह कह रहे थे कि निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए अन्यथा कोई लोकतंत्र नहीं होगा। दूसरी ओर सीपीएम मुश्किल स्थिति में है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के विपरीत सीपीआई (एम) के राष्ट्रीय नेता टीएमसी पर हमला करने से नहीं कतराते। ममता बनर्जी भी सीपीआई (एम) और कांग्रेस के खिलाफ चुप नहीं रहतीं।

सीपीआई (एम) के बंगाल राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि बंगाल में हिंसा कोई नई बात नहीं है। विपक्ष की बैठक नई बात है लेकिन बंगाल में हिंसा कोई नई बात नहीं है। हां हम कष्ट झेल रहे हैं। बंगाल की जनता त्रस्त है। तृणमूल कांग्रेस सत्ता में बने रहने के लिए हिंसा और सत्ता का दुरुपयोग कर खुद को बचाने की कोशिश कर रही है। लेकिन बेंगलुरु की बैठक वहीं होगी। पिछले नौ वर्षों में भाजपा मणिपुर से लेकर अन्य जगहों पर क्या कर रही है? जनता मोदी शासन का मुकाबला करने के लिए कमर कस रही है।

बंगाल में हिंसा पर सलीम ने कहा कि राजनीतिक टिप्पणीकारों और पत्रकारों को पता होना चाहिए कि भारत एक संघीय देश है। मणिपुर जल रहा है, इसलिए इस जलने को रोकने के लिए सभी को एक साथ आना होगा।

बंगाल में हिंसा पर कांग्रेस आलाकमान ने तो कुछ नहीं बोला लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि बंगाल में पंचायत चुनावों में जो हो रहा है वह भयावह है। मैं ममता के धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रशंसक रहा हूं लेकिन जो हो रहा है वह अक्षम्य है। हम जानते हैं कि आपने सीपीएम शासन में इसी तरह की स्थिति का बहादुरी से सामना किया था लेकिन अब जो हो रहा है वह हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

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