जब जेपी ने नेहरू से पूछा
यह आजादी के बाद का समय है। कांग्रेस और सोशलिस्ट पार्टियों के बीच दूरी बढ़ती जा रही थी। 11 जनवरी, 1948 को नेहरू को भेजे गए एक पत्र में जयप्रकाश नारायण ने लिखा था, “हमारे और कांग्रेस के बीच की दूरी दिन-ब-दिन चौड़ी होती जा रही है… उदाहरण के लिए बिहार में हमारे लगभग 500 कार्यकर्ता या तो गिरफ्तार हैं या पुलिस उन्हें तलाश रही है।”
नेहरू से जेपी का सवाल
1929-30 में एडविन लुटियंस की शाही राजधानी के हिस्से के रूप में बने तीन मूर्ति भवन को तब फ्लैगस्टाफ हाउस के नाम से जाना जाता था। आजादी से पहले यह भवन भारत में ब्रिटिश सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ का आधिकारिक निवास हुआ करता था।
आजादी के बाद यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का आधिकारिक निवास बन गया, जहां वह 27 मई, 1964 को अपनी मृत्यु तक रहे। लेकिन नेहरू जब पहली बार 7 यॉर्क प्लेस से विशाल महलनुमा तीन मूर्ति भवन में शिफ्ट हुए थे, तो जयप्रकाश नारायण ने इसकी जमकर आलोचना की थी।
बिमल प्रसाद और सुजाता प्रसाद ने जयप्रकाश नारायण की जीवनी ‘द ड्रीम ऑफ रेवोल्यूशन’ में बताया है कि जेपी ने दिसंबर 1947 में नेहरू के साथ एक बैठक में पूछा था कि क्या एक गरीब देश के प्रधानमंत्री को एक शानदार महल में रहना शोभा देता है?
जेपी ने नेहरू को याद दिलाया कि यूएसएसआर की यात्रा से लौटने पर उन्होंने अपनी पुस्तक में प्रशंसा करते हुए लिखा था कि महान नेता लेनिन क्रेमलिन में दो कमरों के छोटे से फ्लैट में रहते थे।
नेहरू ने दिया जवाब
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जेपी के सवाल का जवाब देते हुए कहा, कुछ दिन पहले मुझसे मिलने रूसी राजदूत आए थे। वो एक शानदार लिमोज़ीन में आए थे जिसके बगल में दो भव्य कारें थीं।
जेपी ने नेहरू के इस जवाब का विरोध करते हुए कहा कि रूस अब एक विकसित देश और एक बड़ी शक्ति है, लेकिन भारत अभी भी लेनिन के समय के रूस की तरह विकास के प्रारंभिक चरण में है।”
नेहरू की मौत के बाद तीन मूर्ति भवन
नेहरू के निधन के तुरंत बाद सरकार ने निर्णय लिया कि तीन मूर्ति हाउस प्रथम प्रधानमंत्री को समर्पित किया जाना चाहिए। 14 नवंबर, 1964 को नेहरू की 75वीं जयंती पर राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने तीन मूर्ति हाउस को राष्ट्र को समर्पित किया और नेहरू मेमोरियल संग्रहालय का उद्घाटन किया। दो साल बाद संस्था के प्रबंधन के लिए एनएमएमएल सोसाइटी की स्थापना की गई और तब से यह प्रभारी बनी हुई है।
मोदी काल में तीन मूर्ति भवन
2016 में पीएम मोदी ने परिसर में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने का विचार रखा था। इस विचार की कांग्रेस ने तीखी आलोचना और विरोध किया। यहां तक कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा, जिसमें एनएमएमएल और तीन मूर्ति परिसर के “प्रकृति और चरित्र को बदलने” के “एजेंडे” पर चिंता जताई गई।
हालांकि, तत्कालीन संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने उनके संदेह को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा था कि नए संग्रहालय के निर्माण के दौरान या उसके बाद नेहरू मेमोरियल संग्रहालय के किसी भी हिस्से को नहीं छुआ जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भूमि के स्वामित्व पर भी कोई विवाद नहीं होगा।
फिर भी अक्टूबर 2018 में परियोजना के लिए भूमि पूजन समारोह आयोजित करने के एक पखवाड़े के भीतर, सरकार ने 34 सदस्यीय एनएमएमएल सोसाइटी में बड़े बदलाव किए और भाजपा नेता और तत्कालीन राज्यसभा सांसद विनय सहस्रबुद्धे, टेलीविजन एंकर अर्नब गोस्वामी को इसका प्रमुख नियुक्त किया।
प्रधानमंत्री संग्रहालय
प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन 21 अप्रैल, 2022 को पीएम मोदी ने किया था। 271 करोड़ रुपये का संग्रहालय देश के सभी 14 प्रधानमंत्रियों के बारे में जागरूकता पैदा करता है और साथ ही भविष्य के नेताओं के लिए भी पर्याप्त जगह रखता है। संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार, यह स्थान विचारधारा या कार्यालय में कार्यकाल की परवाह किए बिना सभी के योगदान को बराबर मान्यता देता है।
पूर्ववर्ती नेहरू संग्रहालय भवन अब नए संग्रहालय भवन के साथ एकीकृत हो गया है। नेहरू संग्रहालय को ब्लॉक I के रूप में नामित किया गया है, उसमें पहले प्रधानमंत्री के जीवन और योगदान पर पूरी तरह से नए तकनीक का इस्तेमाल कर प्रदर्शित किया गया है।
संयोग से संग्रहालय अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक गैलरी तैयार कर रहा है, जिसका उद्घाटन कुछ महीनों में होने की संभावना है। अधिकारियों के अनुसार, पीएम मोदी के कार्यकाल को समर्पित गैलरी संग्रहालय के भूतल पर स्थित होगी।
बता दें कि अब तीन मूर्ति परिसर में स्थित नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय कर दिया गया है।