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चरखी दादरी के 200 करोड़ का दावा:हरियाणा पुलिस बोली

चरखी दादरी4 घंटे पहले

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चरखी दादरी के मजदूर विक्रम के टोकरे में 200 करोड़ रुपये आने का दावा किया गया था।  - दैनिक भास्कर

चरखी दादरी के मजदूर विक्रम के टोकरे में 200 करोड़ रुपये आने का दावा किया गया था।

हरियाणा में चरखी दादरी के मजदूर के खाते में 200 करोड़ का घोटाला होने का दावा। चरखीदादरी में बाड़ा थाने की पुलिस ने जांच के बाद कहा कि खाते में सिर्फ 28 हजार रुपये जमा हैं। असल में बैंक ने मजदूर के खाते में 200 करोड़ रुपये तक का परिवहन शुल्क लगाया था। उसके खाते में इतनी रकम नहीं है।

इसमें एएसआई विशाल कुमार ने कहा- ”एक हफ्ते पहले बेला के विक्रम ने कंप्लेंट की थी कि मेरे टोक से ट्रांजैक्शन हुई है। ये कोई फ़्रॉड हुआ है। हम येस बैंक से बैंक की तरफ निकलवाई। यूपी पुलिस ने विक्रम के नाम से ओपन मार्केट का रेफ्रिजरेटर बनवा रखा है। यह किताब से फ्रॉड हुआ है। हमने चेक की जांच की है और इसमें 28 हजार 205 रुपये शामिल हैं। रेफ़्रिजरेटर तक बैंक के खाते की सीमा 200 करोड़ है।”

श्रमिक विक्रम के घर यूपी पुलिस के आने वाले बाद से परिवार के लोग परेशानी में हैं।  विक्रम के चाचा के लड़के प्रदीप ने पूरे मामले की जानकारी दी थी।

श्रमिक विक्रम के घर यूपी पुलिस के आने वाले बाद से परिवार के लोग परेशानी में हैं। विक्रम के चाचा के लड़के प्रदीप ने पूरे मामले की जानकारी दी थी।

पढ़िए कैसे बनी में 200 करोड़ की कहानी

यूपी पुलिस ने मजदूरों के घर रेड की तो पता चला
मजदूर के घर 2 सितंबर को यूपी पुलिस ने रेड की। पुलिस ने तकनीशियन विक्रम को बताया कि उत्तर प्रदेश के जालौन निवासी संजय सोनी ज्वेलर हैं। उन्होंने यूपी पुलिस को शिकायत दर्ज कराई कि फरवरी में उनकी किसी से बात हुई थी। उनकी संपत्तियों को लेकर सौदा हुआ। इसके बाद एक बैंक में 60 हजार रुपये डाले गए। हालाँकि उन्हें सेवानिवृत्त नहीं किया गया। मोबाइल नंबर से फ्रॉड करने की शिकायत पुलिस को दर्ज करनी होगी।

बैंक खाते के रिकॉर्ड से विक्रम के नाम का पता चला
ज्वेलर संजय सोनी की याचिका के बाद यूपी पुलिस ने की बैंक अकाउंट की जांच। जिसमें बैंक से रिकॉर्ड निकलवाने पर पता चला कि उसका आधार कार्ड खुल गया है। यह आधार कार्ड कार्मिक विक्रम का है। इसमें एड्रेस के आधार पर यूपी पुलिस से यहां पूछताछ करने का विवरण शामिल है। श्रमिक विक्रम का कहना है कि पटौदी की एक कंपनी ने उन्हें नौकरी पर रख-रखाव के लिए दस्तावेज़ दिए थे। हालाँकि बाद में उनसे कहा गया कि खाता रद्द हो गया है। उसे शक है कि यही वह खाता है।

मजदूर ने इसलिए किया 200 करोड़ का दावा
श्रमिक विक्रम का कहना था कि उसे बैंक खाते के बारे में कुछ पता नहीं था। 2 सितंबर को जब यूपी पुलिस आई तो उसका अकाउंट नंबर ले लिया गया। इसके बाद उन्होंने बैंक छोड़ दिया। जिसके बाद फोन पर भी पता चला। इसके बाद उन्हें पता चला कि इतने करोड़ रुपए हैं।

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