चंद्रयान 3 का काउंटडाउन शुरू, पिछली गलतियों से सीखा, एक्शन में नए प्रयोग, बाहुबली रॉकेट से भारत को बहुत उम्मीद
भारत का चंद्रयान 3 अब हकीकत में बदलने जा रहा है। आज दोपहर ढाई बजे श्रीरिहरिकोटा से रॉकेट अपनी उड़ान भरेगा और फिर सीधे चांद की तरफ कूच कर जाएगा। एक महीने के अंदर में ये मिशन अपने अंतिम पड़ाव में होगा और फिर इतिहास रचने के बेहद करीब। अब जब इस मिशन के शुरू होने में सिर्फ कुछ घंटे ही बचे हैं, ऐसे में इस चंद्रयान 3 के एक सफर पर नजर डालना जरूरी है। क्या संघर्ष रहा, कैसे चुनौतियों से पार पाया गया, सबकुछ बताते हैं।
चंद्रयान 3 क्या है?
चांद पर भारत की ये तीसरी चढ़ाई होने जा रही है। साल 2008 में चंद्रयान, 2019 में चंद्रयान 2 और अब 2023 में चंद्रयान 3 के जरिए इसरो एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है। चंद्रयान 3 मिशन के तहत भारत इस बार चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब लैंडिंग की कोशिश करने वाला है। ये चांद का वो इलाका है जहां पर सूर्य की किरणे नहीं पड़ती हैं, जहां पर तापमान -230 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। बड़ी बात ये है कि अब तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है, लेकिन कोई भी इस दक्षिणी ध्रुव के करीब नहीं जा पाया।
अब जो किसी ने नहीं किया, इसरो वहीं करने जा रहा है और इसी वजह से पूरी दुनिया की इस मिशन पर नजर है। अगर भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव में सटीक लैंडिंग कर जाता है, तो वो दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा। चंद्रयान 3 के जरिए भारत कुल 3 चीजों को हासिल करना चाहता है- पहली- चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग, दूसरी- चांद की सतह पर रोवर आसानी से चल सके, तीसरी- वैज्ञानिक परीक्षण किया जा सके।
लैंडर… रोवर और बाहुबली रॉकेट, क्या है ये?
अब इन उदेश्यों से तीन बड़े शब्द सामने आते हैं- लैंडर, रोवर और भारत का बाहुबली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (MV-3)। अगर चंद्रयान 3 को सफल बनाना है, तो इन तीनों ही एलिमेंट का सही चलना जरूरी है। सबसे पहले बात लैंडर की करते हैं। लैंडर ही वो अंतरिक्ष यान है जिसकी मदद से चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। वहीं उसी चांद की सतह पर घूमने का काम रोवर करेगा। यानी कि इन दोनों का सही रहना बहुत जरूरी है। जानकारी के लिए बता दें कि पिछली बार की तरह इस बार भी भारत ने अपने लैंडर का नाम विक्रम रखा है और रोवर का नाम प्रज्ञान।
इस मिशन की सफलता में लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (MV-3) का भी अहम योगदान रहे वाला है। असल में लॉन्च व्हीकल मार्क-III को बाहुबली रॉकेट भी कहा जाता है। पिछले साल अक्टूबर में एलवीएम-3 ने 36 सैटेलाइट को लेकर उड़ान भरी थी। इसके बाद से ही इस रॉकेट लॉन्चर को बाहुबली रॉकेट लॉन्चर कहा जाने लगा। इसरो को इसे बनाने में 15 साल का समय लगा था। यह इसरो द्वारा बनाया गया सबसे ताकतवर रॉकेट है। इस रॉकेट का इस्तेमाल हैवी लिफ्ट लॉन्च में किया जाता है।
यह रॉकेट तीन चरण में काम करता है। इसमें पहली स्टेज के तहत थ्रस्ट के लिए दो सॉलिड फ्यूल बूस्टर लगाए गए है। वहीं कोर थ्रस्ट के लिए एक लिक्विड बूस्टर लगाया गया है। एलवीएम-3 रॉकेट 640 टन से अधिक वजन उठा सकता है। वहीं इसकी पेलोड क्षमता 4,000 किलो से अधिक है। इसकी लंबाई 43.5 मीटर है। इस रॉकेट का पुराना नाम जीएसएलवी-एमके-3 था जिसे पिछले साल बदल कर एलवीएम-3 रख दिया गया।
चंद्रयान 3 पिछले मिशन से अलग कैसे?
इस बार लैंडिंग साइट के लिए 500×500 मीटर के छोटे से जगह के बदले 4.3 किमी x 2.5 किमी के बड़े जगह को टारगेट किया गया है। इसका यह मतलब हुआ की इस बार लैंडर को ज्यादा जगह मिलेगी और वो आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर पाएगा। इस बार ईंधन की क्षमता भी बढ़ाई गई है ताकि अगर लैंडर को लैंडिंग स्पॉट ढूंढने में मुश्किलात का सामना करना पड़ा तो उसे वैकल्पिक लैंडिंग साइट तक आसानी से ले जाया सके। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी स्वदेशी रोवर ले जाया जाएगा। चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद रोवर चांद पर मौजूद केमिकल और तत्वों का अध्यन करेगा।
कहां देख सकेंगे रॉकेट लॉन्च?
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का सभी गवाह बनना चाहते हैं। हर कोई इस पल को अपने कैमरे में कैद करना चाहता है। इसरो ने भी इसके लिए खास तैयारी की है। इसरो की वेबसाइट पर लोगों के लिए इस खास पल को देखने के लिए बुकिंग की जा रही है। इसरो की आधिकारिक वेबसाइट https://www.isro.gov.in पर आप लॉन्च व्यू गैलरी की सीट बुक कर सकते है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 के लॉन्च को देखने के लिए इसरो की वेबसाइट पर जाकर अपनी सीट बुक कर सकते है। इसके अलावा आप इसरो की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर भी लॉन्च का सीधा प्रसारण देख सकते है।