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कार्गो प्लेन से आईएएफ में आईएएफ:स्वदेशी हेवी ड्रॉप सिस्टम के इक्विपमेंट्स के सफल परीक्षण; 20 टन तक सामान भेजा गया किराया

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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एडीआरडीई ने विशेष रूप से इस सिस्टम एयरफोर्स के विकास पर काम किया है।  इसकी मदद से अब पहाड़ी इलाकों में हथियार, खाना, जीप और ट्रक को आसानी से हासिल किया जा सकता है।  - दैनिक भास्कर

एडीआरडीई ने विशेष रूप से इस सिस्टम एयरफोर्स के विकास पर काम किया है। इसकी मदद से अब पहाड़ी इलाकों में हथियार, खाना, जीप और ट्रक को आसानी से हासिल किया जा सकता है।

इंडियन एयरफोर्स (IAF) ने हाल ही में एक कार्गो प्लेन से हैवी ड्रॉप सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। यह सिस्टम पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है। इसका नाम टाइप वी हैवी ड्रॉप सिस्टम है। इससे एयरफोर्स 20 टन तक वजनी वाहन और आईपैडमेंट्स को पैरा ड्रॉप कर सकता है।

एयरफोर्स के इंजीनियर्स ने बताया कि इस सिस्टम को आगरा के एरियल रिसर्च रिसर्च एंड डियोडिया इंस्टीब्लिशमेंट (एडीआरडीई) ने डिजाइन और डेवलप किया है। एयरफोर्स इससे पहले भी इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन वो स्वदेशी नहीं हैं।

एडीआरडीई ने विशेष रूप से इस सिस्टम एयरफोर्स के विकास पर काम किया है। इसकी मदद से अब पहाड़ी इलाकों में हथियार, खाना, जीप और ट्रक को आसानी से हासिल किया जा सकता है।

इस हैवी ड्रॉप सिस्टम में बड़े आकार के पैराशूट का उपयोग किया जाता है।

इस हैवी ड्रॉप सिस्टम में बड़े आकार के पैराशूट का उपयोग किया जाता है।

हैवी ड्रॉप सिस्टम एल्युमिनियम से बना है
हैवी प्लेटफ़ॉर्म का प्लेटफ़ॉर्म एल्यूमीनियम और स्टील को मिलाकर बनाया गया है। इसका वजन करीब 1,110 किलोग्राम है। यह सिस्टम 7 हजार किलो रेसद लेकर 260-400 KM प्रति घंटे की ड्रॉप स्पीड पर काम करता है।

हैवी ड्रॉप-16टी और 20टी के लिए आइएम-76 हैवी लिफ्टर विमान बनाया गया है। यह 20 टन तक वजन वाले सैन्य कार्गो को सुरक्षित और सुविधाजनक पैराड्रॉप करने में सक्षम बनाता है। इसमें बीएमपी वाहन, सप्लाई और गोला-बारूद शामिल हैं। यह मैदानी क्षेत्र, रेगिस्तान और पठारी क्षेत्रों में उतर सकता है।

हैवी ड्रॉप सिस्टम के विभिन्न संस्करणों के आधार तैयार किए गए
मीडिया सिद्धांत के अनुसार, ADRDE ने AN-32, IL-76 और C-17 ग्लोबमास्टर जैसे संस्करणों के लिए हैवी ड्रॉप सिस्टम के अलग-अलग अलग-अलग तरीके तैयार किए हैं। जैसे 3 टन, 7 टन, 16 टन और 20 टन। तीन और सात टन वाला सिस्टम भारतीय सेना और नौसेना के लिए है।

हैवी ड्रॉप सिस्टम में कार्गो प्लेन से हैवी टिकट और इक्विपमेंट्स फॉरवर्ड लोकेशंस पर ड्राप किए जाते हैं।

हैवी ड्रॉप सिस्टम में कार्गो प्लेन से हैवी टिकट और इक्विपमेंट्स फॉरवर्ड लोकेशंस पर ड्राप किए जाते हैं।

क्या होता है हैवी ड्रॉप सिस्टम?
हैवी ड्रॉप्स का उपयोग 20 टन वजन वाले वर्ग के सैनिकों के वाहन, गोला-बारूद, इक्विपमेंट्स को पैराशूट से नीचे गिराने के लिए किया जाता है। आईएलएस-76 विमान के लिए हैवी ड्रॉप सिस्टम (पी-7 एचडीएस) में एक प्लेटफॉर्म और विशेष पैराशूट सिस्टम शामिल होता है।

पैराशूट सिस्टम एक मल्टी-स्टेज पैराशूट सिस्टम है, जिसमें पांच मुख्य कैनोपी, पांच ब्रेक शूट, दो सहायक शूट, एक एक्सिसोडर पैराशूट शामिल हैं। इस सिस्टम को 100 फीसदी स्वदेशी फ़ॉर्मेट के साथ विकसित किया गया है। पी-7 एचडीएस को सेना में शामिल किया गया है। पी-7 हैवी ड्रॉप सिस्टम का निर्माण एलएंडटी कंपनी कर रही है। पैराशूट ऑर्डिनेंस क्रिस्टोफर ली बनी हुई है।

पैराशूट पर तेल और पानी का असर नहीं होगा
पैराशूट पर तेल और पानी का कोई असर नहीं होता और लंबे समय तक इस्तेमाल भी किया जा सकता है। डीआरडीओ काफी समय से इस सिस्टम को बनाने की तैयारी कर रहा था। पिछले करीब पांच जापानियों से हैवी ड्रॉप सिस्टम का परीक्षण किया जा रहा है।

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