अमेरिका-चीन के रास्ते पर चलकर नहीं होगा भारत विकास, बोले मोहन भागवत
RSS: मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि यदि धर्म मनुष्य को समृद्ध और सुखी बनाता है, लेकिन प्रकृति को नष्ट करता है, तो उसे धर्म नहीं कहा जा सकता।
Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार (18 दिसंबर, 2022) को कहा कि अमेरिका और चीन के रास्ते पर चलकर नहीं बल्कि लोगों की स्थिति, परंपरा और संस्कृति के आधार पर भारत का विकास होगा। उन्होंने कहा कि अगर भारत चीन या अमेरिका जैसा बनने की कोशिश करता है तो यह उसका खुद का विकास नहीं होगा।
लोगों की स्थिति, परंपरा और संस्कृति के आधार पर होगा भारत का विकास- मोहन भागवत
उन्होंने कहा कि भारत का विकास उसकी दृष्टि, परिस्थितियों, लोगों की आकांक्षाओं, परंपरा, संस्कृति और जीवन के बारे में विचारों के आधार पर होगा। मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए भागवत ने यह भी कहा कि यदि धर्म मनुष्य को समृद्ध और सुखी बनाता है, लेकिन प्रकृति को नष्ट करता है, तो उसे धर्म नहीं कहा जा सकता।
इससे पहले जी20 में भारत की अध्यक्षता पर प्रतिक्रिया देते हुए भागवत ने कहा था कि दुनिया को अब भारत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत अब वैश्विक चर्चाओं का हिस्सा है और उसे दुनिया का नेतृत्व करने का भरोसा भी है। आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि केवल भारत ही दुनिया को वैश्विक समृद्धि का रास्ता दिखा सकता है, क्योंकि भारत हमेशा एक विश्व-एक परिवार के सिद्धांत में विश्वास करता है। उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म पूजा के किसी एक तरीके का उल्लेख नहीं करता है। हिन्दू वह प्रत्येक व्यक्ति है जो परंपरागत रूप से भारत का निवासी है और इसके लिए उत्तरदायी है।”
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 28 दिसंबर को उज्जैन में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पानी की पवित्रता पर एक भारतीय विमर्श बनाने और इसे वैज्ञानिक सोच के साथ जोड़ने पर एक पूर्ण व्याख्यान देंगे। जल शक्ति मंत्रालय और दीनदयाल अनुसंधान संस्थान (DRI) द्वारा आयोजित “सुजलाम” नामक सम्मेलन 27 से 29 दिसंबर तक शिप्रा नदी के तट पर आयोजित किया जाएगा।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत 27 दिसंबर को उज्जैन में सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। भागवत 28 दिसंबर को पूर्ण व्याख्यान देंगे और मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 29 दिसंबर को समापन समारोह में शामिल होंगे।
यह सम्मेलन “सुमंगलम” नामक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्रकृति के पांच मूल तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष की शुद्धता को सुरक्षित रखने की अनूठी भारतीय अवधारणा को प्रस्तुत करना है और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व एवं स्थिरता के लिए संतुलन प्राप्त करना है।