अफगानिस्तान : चरमरा गई स्वास्थ्य व्यवस्था
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद उपजी कई समस्याओं में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराना भी शामिल है।
अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद उपजी कई समस्याओं में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराना भी शामिल है। तालिबान के आने से पहले जो दिक्कतें थीं, वे अब बढ़ गई हैं और देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वालों को नए निजाम के साथ तालमेल बैठाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
काबुल के बाहर मीरबाचा कोट जिला अस्पताल की स्थिति इसका जीवंत उदाहरण है। तालिबान ने 22 वर्षीय मोहम्मद जावीद अहमदी को इस अस्पताल की जिम्मेदारी सौंपी है जिससे वहां के डाक्टर मायूस हैं। अहमदी से उसके वरिष्ठों ने पूछा था कि वह क्या काम कर सकता है। अहमदी ने बताया कि उसका सपना डाक्टर बनने का था लेकिन गरीबी के कारण वह मेडिकल कालेज में दाखिला नहीं ले पाया। इसके बाद तालिबान ने उसे मीरबाचा कोट जिला अस्पताल का जिम्मा सौंप दिया।
सत्ता पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के अमेरिकी खाते ‘फ्रीज’ कर दिए और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिए गए। इससे देश की बैंकिंग व्यवस्था चरमरा गई। अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन पहले अफगान सरकार के 75 फीसद खर्च का भार उठाते थे, लेकिन बाद में उन्होंने धन देना बंद कर दिया।
यह आर्थिक संकट ऐसे देश में हुआ जो खुद विदेशी सहायता पर निर्भर था। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तालिबान सरकार के उप स्वास्थ्य मंत्री अब्दुलबारी उमर ने कहा कि विश्व बैंक अफगानिस्तान के 3,800 चिकित्सा केंद्रों में से 2,330 को वित्त पोषण देता था जिससे स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन भी दिया जाता था। नई सरकार आने के पहले कई महीनों से डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन नहीं मिला।
उमर ने कहा कि हमारे लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। जब हम यहां आए तो पैसा बिल्कुल नहीं बचा था। कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। लोगों के लिए भोजन नहीं है। एंबुलेंस और मशीनों के लिए ईंधन नहीं है। अस्पतालों में दवाएं भी नहीं हैं।
हम कतर, बहरीन, सऊदी अरब और पाकिस्तान से कुछ मंगाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। मीरबाचा कोट में डाक्टरों को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। निराश स्वास्थ्यकर्मी प्रतिदिन 400 मरीजों को देखते हैं जो आसपास के जिलों से आते हैं। कुछ मरीजों के रोग सामान्य होते हैं या उन्हें दिल की बीमारी होती है, कुछ के बच्चे बीमार होते हैं।
डा. गुल नजर ने कहा कि हम क्या कर सकते हैं? अगर हम यहां नहीं आएं तो हमारे लिए और कोई रोजगार नहीं होगा। अगर कोई रोजगार होगा तो कोई हमें वेतन नहीं देगा। इससे बेहतर है कि हम यहीं रहें।