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अजित पवार के बाद जयंत चौधरी देंगे विपक्ष को दूसरा झटका? क्या सच में किसी केंद्रीय मंत्री से की है मुलाकात

Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जहां विपक्ष एकजुटता को लेकर बैठकें कर रहा है तो वहीं बीजेपी भी अंदर खाने से सेंध लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। 23 जून को पटना में हुई विपक्ष की बैठक नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी गोलबंदी थी। जिसमें 15 विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता शामिल हुए थे। वहीं विपक्ष की दूसरी बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में होने जा रही है। इन्हीं के सबके बीच विपक्ष को रविवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के आठ विधायक महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए। जिसमें अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया।

इसी बीच अफवाहें यह भी उड़ रही हैं कि विपक्षी खेमे से भाजपा में शामिल होने वाली अगली पार्टी जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकदल (RLD) हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि रालोद प्रमुख ने रविवार को भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की और दो घंटे तक चली बातचीत में उनके राजग में शामिल होने की संभावना भी शामिल थी।

रविवार को एक कार्यक्रम के लिए यूपी दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मीडियाकर्मियों बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी आने वाले दिनों में एनडीए में शामिल होंगे। चौधरी पटना में विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। क्योंकि वो समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव से नाखुश हैं और हमारे साथ आ सकते हैं।

क्या पाला बदल सकते हैं जयंत चौधरी?

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर जयंत चौधरी पाला बदलते हैं तो रविवार को एनसीपी में हुए विभाजन के बाद यह विपक्षी एकता के लिए दूसरा बड़ा झटका होगा। क्योंकि एनसीपी के वरिष्ठ नेता महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे सेना सरकार में शामिल हो चुके हैं।

हालांकि, इन सबके बीच आधिकारिक तौर पर रालोद ने जयंत चौधरी की किसी भी केंद्रीय मंत्री के बीच मुलाकात को लेकर इनकार किया है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप उज्ज्वल ने सोमवार को कहा कि यह सच नहीं है। जयंत की लड़ाई विचाराधारा के लिए है। बीजेपी के साथ हमारे नेता की कोई बैठक नहीं हुई है।

भाजपा में शामिल होने की खबरों पर RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने बीजेपी के साथ किसी भी तरह की संभावना को नकारते हुए कहा कि वे विपक्ष में ही रहेंगे और विपक्षी एकता वाली अगली बैठक में जरूर शामिल होंगे। वहीं सोमवार को विपक्षी एकता को धार देने के लिए सपा प्रमुख ने तेलंगाना सीएम चन्द्रशेखर राव से मुलाकात की। अखिलेश यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य एक है। हम सबको मिलकर भाजपा को हटाना है।

पिछले कुछ समय से जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश के बीच बढ़ती अनबन की चर्चा चल रही है। आरएलडी और एसपी 2019 के लोकसभा चुनावों से सहयोगी रहे हैं। दोनों ने पिछले साल का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा था। जहां दोनों युवा नेताओं ने एक अलग छवि पेश की थी।

23 जून की पटना बैठक में शामिल नहीं हुए थे जयंत

हालांकि, अब रालोद-सपा के रिश्तों में खटास आ गई है। क्योंकि 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। जिसमें जयंत चौधऱी शामिल नहीं हुए थे। बैठक में शामिल न होने पर आरएलडी ने कहा कि चौधरी का पूर्व-निर्धारित पारिवारिक कार्यक्रम था और इसलिए वह बैठक में शामिल नहीं हो सके।

इसके बाद फिर 1 जुलाई को जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव को उनके 50वें जन्मदिन पर बधाई नहीं दी थी। इसके उलट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश को उनके 50वें जन्मदिन पर ट्वीट करते हुए शुभकामनाएं दी थीं।

रालोद के एक सूत्र ने कहा कि अखिलेश और चौधरी के बीच सबसे पहले मतभेद रालोद नेता के लिए राज्यसभा सीट को लेकर पैदा हुए थे। नेता ने कहा कि सपा ने काफी सौदेबाजी के बाद उन्हें सीट दी। कुछ अन्य मुद्दे भी थे। उसके बाद अखिलेश और जयंत में दूरियां हो गईं।

यूपी निकाय चुनाव में साथ नजर नहीं आए थे अखिलेश-जयंत

मई में उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान मतभेद सामने आए, जब दोनों पार्टियों ने कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे। आरएलडी इस बात से नाराज थी कि उसे मेयर की कोई भी सीट चुनाव लड़ने के लिए नहीं दी गई। खासकर मेरठ सीट, जहां एसपी ने जाहिर तौर पर अपने सहयोगी रालोद से बात किए बिना एक उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया था। रालोद ने इसे सपा को उस मंशा के रूप में देखा कि सपा प्रमुख यूपी में खुद को विपक्षी दल का नेता मानती है।

निकाय चुनाव के दौरान भी जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में उन बैठकों में मौजूद नहीं थे, जिनमें अखिलेश ने भाग लिया था। लगभग इसी समय, आरएलडी नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के विकल्प तलाशने की बात करना शुरू कर दिया। रालोद सूत्रों ने भी सपा की गलत रवैये की बात कही और कांग्रेस की ओर बढ़ने के संकेत दिए।

इस पृष्ठभूमि में चौधरी की रविवार को एक वरिष्ठ भाजपा नेता के साथ मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर रालोद सूत्र ने कहा, “कुछ प्रस्ताव दिए गए हैं, लेकिन बेहतर होगा कि चीजों का खुलासा करने से पहले उन्हें अंतिम रूप दे दिया जाए।”

आरएलडी का मुख्य आधार पश्चिमी यूपी

हालांकि, भाजपा का रुख रालोद के लिए मुद्दों के बिना नहीं होगा। आरएलडी का मुख्य आधार पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय है। पार्टी ने हाल ही में मुसलमानों और दलितों को अपने साथ लाने के लिए एक अभियान चलाया है। वहीं भाजपा के साथ गठबंधन से रालोद के कई प्रमुख मुस्लिम और दलित नेता दूर हो सकते हैं। ऐसे में पार्टी अपनी विचारधारा बदल सकती है। रालोद के एक नेता ने कहा, खासकर मुस्लिम और दलित समुदाय नेता सहज नहीं होंगे, अगर रालोद, एनडीए का हिस्सा बनती है।

इस बीच, रविवार को महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बीच अखिलेश यादव ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘राजनीति की गणित अलग होती है, यहां किसी का जुड़ना सदैव ताकत का बढ़ना नहीं होता, बल्कि जो ताकत थी उसको बांटने के लिए एक और हिस्सेदार का बढ़ जाना होता है। ये कमजोरी के बढ़ने का प्रतीक भी होता है।’

महाराष्ट्र की तरह यूपी में भी होगा बड़ा उलटफेर: राजभर

अखिलेश के पूर्व सहयोगी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा, ”यूपी में भी बड़ी उलटफेर होगी। सिर्फ महाराष्ट्र को मत देखो। यूपी में भी ऐसा ही होगा। आप जल्द ही सपा के कई विधायकों और सांसदों को शपथ लेते देखेंगे। ऐसे कई लोग हैं जो लोकसभा टिकट चाहते हैं। राजभर ने कहा कि क्या वह (जयंत) पटना गए थे? क्या वह बेंगलुरु जाएंगे। जहां विपक्ष की अगली बैठक हो रही है।

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