संसद में अपने पहले भाषण में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका को याद दिलाई ‘लक्ष्मण रेखा’
Jagdeep Dhankhar: जगदीप धनखड़ की यह टिप्पणी न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच बनी हालिया गतिरोध की पृष्ठभूमि में भी सामने आई है।
Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार (सात दिसंबर) को संसद में अपने पहले भाषण के दौरान न्यायपालिका पर निशाना साधा। उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) विधेयक को रद्द करने के लिए न्यायपालिका को आड़े हाथों लेते हुए लक्ष्मण रेखा याद दिलाई। आलोचना करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने इस कदम को संसदीय संप्रभुता के अनुरूप नहीं बताया।
मालूम हो कि NJAC बिल के लिए 99वां संवैधानिक संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास हुआ था, जिसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। वहीं इस बिल के खारिज होने को लेकर राज्यसभा के सभापति ने कहा कि ‘यह उस जनादेश का अपमान है, जिसके संरक्षक उच्च सदन (राज्यसभा) और लोकसभा है।’
उन्होंने कहा कि सरकार के तीन अंगों को “लक्ष्मण रेखा” का सम्मान करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक इतिहास में इस तरह की कोई मिसाल देखने को मिलती, जहां नियमबद्ध तरीके से किए गए संवैधानिक बिल को न्यायिक ढंग से खारिज किया गया हो। उन्होंने कहा कि एक संस्था द्वारा, दूसरे के क्षेत्र में किसी भी तरह की घुसपैठ, शासन को असहज करने जैसी होती है।
बता दें कि धनखड़ की यह टिप्पणी न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच बनी हालिया गतिरोध की पृष्ठभूमि में भी सामने आई है। उन्होंने कहा कि हम वास्तव में बार-बार हस्तक्षेप जैसी कड़वी सच्चाई का सामना कर रहे हैं। यह सदन शासन के इन अंगों के बीच अनुकूलता लाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की स्थिति में है। मुझे यकीन है कि आप सभी आगे के रुख पर विचार करेंगे और इसमें शामिल होंगे।
जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस सदन को संवैधानिक संस्थानों के कामकाज को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्मण रेखा का सम्मान करने की जरूरत है और ऐसी व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता है। इसके अलावा धनखड़ ने यह भी कहा कि यह चिंताजनक है कि लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद में ध्यान नहीं दिया गया है, इसे सात साल से अधिक हो गये हैं।