शुभ अशुभ
मानवता का कल्याण करते हुए हम सभी को चाहिए कि खुशी और उमंग के उत्सव विवाह शादी को संस्कृति के तहत आपकी लगाव, भाईचारा, सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक साथ ही उमंग के साथ मनाएं।
शादी विवाह एक-दूसरे के साथ मिलन और परिवारिक लगाव के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की पहचान और आपसी लगाव का प्रतीक होता है। यह खुशी का मौका होता है। मगर आए दिन देखा जाता है कि लोग अपनी खुशी का इजहार करने में यह भूल जाते हैं कि दूसरे की जान की कीमत क्या है? शदियों में बंदूक दागने का चलन इस कदर बढ़ा है कि लोग इसके बारे में तार्किक ढंग से सोचते ही नहीं। हर्ष फायरिंग के चलते कई जगहों पर लोगों की जान चली गई।
अनेक परिवारों ने अपनी उम्मीदों को खोया है, कई लोगों ने अपने खुशी के पल गंवाए हैं। इसलिए मानवता का कल्याण करते हुए हम सभी को चाहिए कि खुशी और उमंग के उत्सव विवाह शादी को संस्कृति के तहत आपकी लगाव, भाईचारा, सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक साथ ही उमंग के साथ मनाएं, लेकिन अपनी खुशी के गम में न बदलने दें। प्रशासन को भी इस मामले में सतर्कता बरतनी चाहिए। यह एक सभ्य समय समाज के लिए चिंता का विषय है।
तारामुनी देवी, चंदवारा, लालगंज