मुस्लिम महिलाओं का पारिवारिक न्यायालय तलाक़ का मामला: मद्रास HC ने कहा
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चेन्नई2 घंटे पहले
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मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के तलाक से एक बड़ा फैसला सुना है। न्यायालय ने कहा कि श्री परिषद् न तो न्यायालय हैं और न ही निर्णय हैं, इसलिए वे खुलासे के तहत तलाक को प्रमाणित नहीं कर सकते हैं। न्यायमूर्ति सी सरवनन ने शरियत परिषद के ‘खुला’ को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने महिला और उसके पति को उनके बीच विवाद को लेकर विवाद को लेकर तमिल लीगल सर्विस फिल्टर या फैमिली कोर्ट जाने का निर्देश दिया है।
पहले भी काजियों को रोका गया है मद्रास उच्च न्यायालय
बेंच ने आगे कहा कि मुस्लिम महिला, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) जीएसपी एक्ट, 1937 के तहत मान्यता प्राप्त ‘खुला’ (तलाक का एक प्रकार) के लिए फैमिली कोर्ट जा सकता है। बेंच ने बदर सईद बनाम भारत संघ मामले का हवाला देते हुए कहा कि इससे पहले भी उच्च न्यायालय ने काजियों जैसे लोगों को खुला के माध्यम से तलाक जारी करने से रोका था।
अब पढ़िए क्या है यह पूरा मामला
मद्रास उच्च न्यायालय मोहम्मद रफीक नाम के व्यक्ति की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें तमिलनाडु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1975 के तहत पंजीकृत शेरायत परिषद के तहत ‘खुला’ को पंजीकृत करने की मांग की गई थी। परिषद ने खुलासे का प्रमाण पत्र सैदा बेगम को दिया था। सईदा के पति ने हाई कोर्ट से अपील की थी कि उनकी पत्नी को दिया गया गूगल कानूनी कानून सही नहीं है।
रफीक का कहना था कि फतवा या खुली जैसी चीजें कानूनी तौर पर वैध नहीं हैं। ऐसे ऑर्डर किसी शख्स पर नहीं थोपे जा सकते।