जंगलमहल से ग्राउंड रिपोर्ट: 10 साल पहले ममता ने लेफ्ट का 'जंगलमहल' गढ़ भेड़ा, उसी विकास-पथ पर भाजपा
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- 10 साल पहले, ममता ने ‘जंगलमहल’ का गढ़ छोड़ दिया, वही विकास पथ
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१ पहले दिन पहले लेखक: अक्षय वाजपेयी पुरुलिया से
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पर भाजपा
फ़ाइल
- ममता बनर्जी तीन दिन इसी इलाके में हैं
पश्चिम बंगाल की 44 विधानसभा सीटों वाला जंगलमहल इलाका 2011 के पहले वामपंथ का अभयारण्य था। ममता ने विकास को मुद्दा बनाया और ‘जंगलमहल’ (पुरूलिया, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, विष्णुपुर, बीर पृष्ठभूमि, पश्चिम मेदिनीपुर) से सीपीएम का सूपड़ा साफ कर दिया। अब टी एम सी को मात देने के लिए भाजपा भी उसी विकास के वादे वाले रास्ते पर आगे बढ़ रही है।
बुनियादी सुविधाओं से महरूम इस क्षेत्र में रोजगार बड़ा मुद्दा है। वर्ष 2011 में ममता ने भी सड़क, बिजली, पानी और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों को ही उठाया था और जंगलमहल की सत्ता पहुंच गई थी। अब टीएमसी को सरकार चलाने के दस साल हो चुके हैं और यही मुद्दा बीजेपी उठा रहा है। जंगलमहल में बीजेपी ने साल 2014 से ही पकड़ बनाना शुरू कर दिया था। बंगाल के सीनियर पत्रकार श्यामलेंदु मित्रा कहते हैं, 2018 के पंचायत चुनाव में यहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी
लोगों को वोट डालने नहीं दिया गया। कई कैंडीडेट्स के नॉमिनेशन कैंसल कर दिए गए। आम जनता में इसका गुस्सा था, इसी कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां बड़ी जीत मिली। पुरूलिया के एक कस्बे में रहने वाले सुनील महतोराम कहते हैं, लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग-अलग है। तब हमने मोदी को वोट दिया था लेकिन बंगाल में ममता को वोट देंगे क्योंकि यहां वो अच्छा काम कर रहे हैं और केंद्र में मोदी अच्छा काम कर रहे हैं।