क्या ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘वल्गर प्रपेगेंडा’ बताते हैं जो नदव लैपिड बताते हैं?
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ जब रिलीज हुई थी, तब इस पर काफी विवाद हुआ था। फिल्म कश्मीरी पंडितों के दर्द और संघर्ष की कहानी थी, जिसके डायरेक्टर विवेद अग्निहोत्री ने बड़े पर्दे पर रखा था। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर साल 2022 में कई रिकॉर्ड्स अपने नाम किए। लेकिन साल 1990 में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर दो गुट बन गए थे। कोई इसका समर्थन में खड़ा हुआ था तो कोई इसकी निंदा कर रहा था। आजकल गोवा में इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) चल रहा है। इसमें जूरी हेड नदव लैपिड बने हैं। विदेशी विद अग्निहोत्री की इस फिल्म को लेकर विवाद ने बयान दिया है। नदव लैपिड का कहना है कि ‘द कश्मीरी फाइल्स’ फिल्म एक ‘वल्गर प्रोपेगेंडा’ है।
नदविद कौन हैं?
नदव लिपिड एक इजरायली स्क्रीनराइटर और फिल्म निर्माता हैं। साल 2011 में ‘पुलिसमेन’, 2014 में ‘द किंडरगार्टन टीचर’ और साल 2019 में ‘साइननिम्स’ जैसे सड़क का निर्देशन तो निगम ही था। फिल्मों को भी लिखा था। 1975 में तेल-अवीव, इज़राइल में जन्में नदव लैपिड ने अपने करियर में कई दस्तावेज तैयार किए हैं। IFFI के नदव लिपी जूरी सजावटी रहे हैं। सिर्फ यही नहीं, नदव लैपिड साल 2015 में लोकेर्नो फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन लेपर्ड जूरी, 2016 में कैन्स फिल्म फेस्टिवल में इंटरनेशनल क्रिटिक्स वीक जूरी और साल 2021 में बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ऑफीशियल कॉम्पिटिशन जूरी में भी दिखी।
नदव रैपिड की फिल्म ‘सिनोनिम्स’ ने साल 2019 में 69 बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन बीयर का दावा किया था। साल 2011 में उन्होंने ‘पुलिसमेन’ से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था। इस फीचर फिल्म को लोकार्नो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल जूरी प्राइज से नवाजा गया था।
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नदव ने दिया कॉन्ट्रोवर्शियल जजेस
नदव लैपिड का विवादास्पद ढांचों से पुराना नाता रहा है। 47 साल से इजरायली फिल्ममेकर का अपनी ही मातृभूमि से लव-हेट रिलेशनशिप है। नदव लैपिड उन 250 इजरायली फिल्म निर्माताओं में से एक हैं, जिन्होंने शोमरोन (सामरिया/वेस्ट बैंक) फिल्म फंड को लॉन्च करने के लिए लॉन्च पर विरोध प्रदर्शन किया था। नदव लैपिड का कहना था कि इस फंड को बनाना केवल एक ही लक्ष्य है, वह यह है कि इजरायल के फिल्म निर्माता वित्तीय समर्थन लेते हैं और पुरस्कार के बदले में अपने इस व्यवसाय को व्हाइट करना चाहते हैं। शोमरोन फिल्म फंड का आधिकारिक जनादेश है, “वेस्ट बैंक में रहने वाले यहूदियों को पेंशन देना और वेस्ट बैंक में फिल्माए गए इजरायली नागरिकों द्वारा प्रस्तुतियों का उत्पादन करना है।
इसके अलावा अपनी फिल्म ‘समानार्थी’ के बारे में बात करते हुए नदव लैपिड ने कहा था कि इजरायल की सामूहिक आत्मा, एक बीमार आत्मा है। इजरायल के अस्तित्व में कुछ गलत है, सीरा हुआ है। केवल बेंजामिन नेतन्याहू ही नहीं, इजरायल के लिए कुछ स्पेशल नहीं है। साथ ही, मुझे लगता है कि इस इज़रायली बीमारी की विशेषता युवा इज़रायली पुरुष हैं जो मस्कुलर हैं, मुस्कुराते हैं और किसी भी मुद्दे पर न तो सवाल करते हैं और न ही कोई संदेह है। उन्हें केवल अपने इजरायली होने पर गर्व है।
नदव लैपिड के बयानों की अनुपम खेर और विवेक अग्निहोत्री ने की निंदा
नदव लैपिड ने ‘द कश्मीरी फाइल्स’ को ‘वल्गर प्रोपेगेंडा’ बताया है तो ऐसे में सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ गई है। अनुपम खेर ने नदव के बयानों की निंदा करते हुए लिखा है कि झूठ का कद भी ऊंचा क्यों ना हो। सत्य के मामले में हमेशा छोटा ही होता है। वहीं, फिल्म के निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गुड मॉर्निंग, सच में सबसे खतरनाक चीज है। ये लोगों को झूठा बना सकते हैं। कम शब्दों में ही सही, लेकिन विवेक ने अपनी बात सही तरीके से रखी है।
सिर्फ इतना ही नहीं फिल्म निर्माता नदव लैपिड के इस बयान से इजरायली राजदूत ने भी किनारा किया है। भारत में इस्राइल के राजदूत नाओर गिलॉन ने नदव लैपिड को दो तुक जवाब देते हुए कहा कि नदव लैपिड के अभिमतों पर हमें शर्म आती है। नदव ने कहा है कि उनका व्यक्तिगत दृष्टिकोण है।
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कौन सी फिल्म कश्मीर फाइल्स का वल्गर और प्रोपेगेंडा सही बताती है?