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कॉलेजियम ने पांच जजों के नाम सरकार के पास भेजे, सुप्रीम कोर्ट में होनी है नियुक्ति

Supreme Court: जिन पांच जजों के नाम की सिफारिश की गई है उनमें राजस्थान, पटना, मणिपुर,और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शामिल हैं।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कॉलेजियम (Collegium) ने पांच जजों के नाम सरकार के पास भेजे हैं। इन सभी की शीर्ष कोर्ट में नियुक्ति होनी है। ये सारे देश की अलग-अलग हाईकोर्ट में सेवाएं दे रहे हैं। इन सिफारिशों पर केंद्र का फैसला अंतिम होता है।

इन पांच जजों के नाम की सिफारिश की गई

कॉलेजियम ने जिन पांच जजों के नामों की सिफारिश की है उनमें राजस्थान हाईकोर्ट के जज जस्टिस पंकज मित्तल, पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीवी संजय कुमार, पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानतुल्ला, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल 28 जज हैं जबकि, सेंक्शन स्ट्रेंथ 34 जजों की है। इनको मिलाकर कुल 33 जज अब सुप्रीम कोर्ट में हो जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच कॉलेजियम की सिफारिशों को लागू करने को लेकर विवाद

सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच कॉलेजियम की सिफारिशों को लागू करने को लेकर विवाद है। एक अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सख्त नसीहत दी थी। सरकार को नोटिस जारी करके भी जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा कि संवैधानिक बेंच ने कॉलेजियम का गठन किया था। उसकी सिफारिशों पर बैठे रहना सरकार के लिए ठीक नहीं होगा। सिलसिला कायम रहा तो फिर सभी को परेशानी होगी।

कॉलेजियम की सिफारिशों पर अमल को लेकर समय सीमा नहीं है। इसकी वजह से सिफारिशों को लागू करने में कई बार देरी होती है तो कई बार केंद्र न पर अपनी सहमति देकर मुहर लगा देता है। जस्टिस केएम जोसेफ को लेकर वकीलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला था। सिफारिश के सात माह बाद उनकी नियुक्ति हो सकी थी। सिफारिशों पर कानून मंत्री किरेन रिजीज के साथ कुछ पूर्व न्यायाधीश टिप्पणी कर चुके हैं। उनका कहना है कि शीर्ष अदालत में नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार है।

हालांकि, कानून मंत्री के बयान पर विपक्ष के नेताओं ने तीखा हमला बोला था। उनका मानना है कि केंद्र सुप्रीम कोर्ट पर कब्जा करने जैसा काम कर रहा है। जजों की नियुक्ति सरकार के पास होगी, फिर कोर्ट कैसे निष्पक्षता से काम कर पाएगी।

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