कितने पढ़े-लिखे रहे UP के मुख्यमंत्री:अब तक 21 CM, इनमें से 8 ग्रेजुएट और 11 इनसे बड़ी डिग्री वाले; वैसे सरकार तो ग्रेजुएट्स की ही भली
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- 21 CM Till Now; Out Of These, 8 Graduates, 11 With Higher Degrees, But The Government Is Good Only For The Graduates.
लखनऊ3 घंटे पहलेलेखक: देवांशु तिवारी
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18 मार्च 2017, दिन शनिवार, शाम का वक्त, लखनऊ में हल्की सर्दी, लेकिन माहौल गरमाया हुआ। सारे राजनीतिक भविष्यवाणी करने वाले पंडित मुंह छिपाए घूम रहे थे। सारी अटकलबाजी फेल हो चुकी थी। BJP ने UP की गद्दी एक मठ के महंत को दे दी थी।
इधर BJP ने कहा योगी आदित्यनाथ, उधर गूगल, यूट्यूब और फेसबुक पर लोगों ने ढूंढना शुरू कर दिया कि महंत कितने पढ़े-लिखे होते हैं। ये अजीब फैक्ट है, लेकिन सच है। यूपी के आज तक के 21 CM में 8 ग्रेजुएट हैं और 11 इनसे ऊंची डिग्री वाले हैं। वैसे, सरकार के लिहाज से ग्रेजुएट्स की सरकार सबसे अच्छी रही है।
इसलिए हमने यहां 2 तरह की पड़ताल की है। पहली, UP के सीएम कितने पढ़े लिखे हैं। दूसरी, ऊंची डिग्री वाले सीएम ज्यादा सफल या सिर्फ ग्रेजुएशन वाले। सफलता के हमने 5 पैमाने चुने हैं-
- कितनी बार CM बने
- कितने साल सत्ता में रहे
- कितने बिल पास कराए
- प्रदेश की GDP कहां ले गए
- बेरोजगारी बढ़ाई या घटाई
वैसे, बेरोजगारी दर 1993 से जारी होनी शुरू हुई। इससे पहले आंकड़े नहीं है। इसी तरह प्रदेश की GDP, यानी सकल घरेलू उत्पाद का 2004 से डाटा उपलब्ध है।UP के अलग से आकड़े नहीं मिले। फिर भी दूसरे पैमाने से चीजें साफ हो रही हैं।
एक-एक करके सबकी डिटेल्स की ओर चलेंगे। लेकिन पहले आप बताइए…


1. UP के पहले CM पंत की पहचान ही एजुकेशन से थी
सीएमः गोविंद वल्लभ पंत- BA और लॉ
साल 1946 से लेकर 1954 तक UP के CM रहे। CM बनने से पहले ही नए स्कूल बनाने वाले शख्स की पहचान थी। साल 1914 में ब्रिटिश सरकार ने एक स्कूल के खिलाफ केस दायर किया। कहा कि इसकी नीलामी की जाए। आदेश सुनते ही पंत ने रात-दिन एक कर दिया। घर-घर चंदा मांगा। अंत में स्कूल को नीलाम होने से बचा लिया। उन्होंने 1905 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से BA किया और 1909 में लॉ की पढ़ाई पूरी की।
नतीजाः बेहतरीन नेता साबित हुए, नेहरू ने UP से केंद्र में बुला लिया
- कितनी बार CM बनेः 2 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 8 साल
- कितने बिल पास कराएः उपलब्ध नहीं, लेकिन 10 बड़े फैसले किए
- CM के 2 कार्यकाल के बाद नेहरू ने केंद्र में बुलाकर गृह मंत्री बना लिया
2. पूरे पढ़ाकू थे संपूर्णानंद, साहित्य-वाचस्पति की उपाधि मिली थी
सीएमः डॉ. संपूर्णानंद – BSc, LT
साल 1954 से 1960 तक CM रहे। बड़े मन से पढ़ाई-लिखाई करते थे। हिंदी, संस्कृत, खगोलशास्त्र पर लिखते-बोलते थे। नैनीताल में वेधशाला बनवाईं थी। हिंदी साहित्य सम्मेलन की तरफ से सर्वोच्च उपाधि साहित्य-वाचस्पति भी इन्हें मिली थी।
उन्होंने क्वींस कॉलेज वाराणसी से BSc और ट्रेनिंग कॉलेज इलाहाबाद से LT किया। ‘मर्यादा’ मैगजीन के संपादक रहे। इन्होंने जब संपादकी छोड़ी तो प्रेमचंद संपादक बने थे।
नतीजाः संपूर्णानंद नहीं डॉक्टर संपूर्णानंद, लेकिन औसत ही रहे
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 6 साल
- कितने बिल पास कराएः उपलब्ध नहीं, लेकिन 4 बड़े फैसले किए
3. बीएचयू में लेक्चरर रहीं हैं सुचेता
सीएमः सुचेता कृपलानी – पोस्ट ग्रेजुएट
साल 1963 से 1967 तक CM रहीं। उनके पिताजी अंबाला में डॉक्टर थे। सुचेता ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से ग्रेजुएशन और सेंट स्टीफन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। पढ़ने-पढ़ाने में इतना दिल लगता था कि BHU में लेक्चरार हो गईं।
यहीं से राजनीतिक पारी की शुरुआत हुई। सुचेता के शासनकाल में सरकारी कर्मचारियों ने पेमेंट को लेकर हड़ताल कर दी थी। यह विरोध 62 दिनों तक चालू रहा,लेकिन सुचेता ने पेमेंट नहीं बढ़ाया। बाद में कर्मचारियों को हड़ताल रद्द करनी पड़ी।
नतीजाः तगड़ी नेता पर अकड़ू का चस्पां लगा, दोबारा CM नहीं बनीं
- कितनी बार CM बनींः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहींः 5 साल
- कितने बिल पास कराएः उपलब्ध नहीं
4. लखनऊ की पढ़ाई और अदब दोनों साथ लेकर चलते थे
सीएमः चंद्रभानु गुप्ता – MA, LLB
वह 1960 से 1969 तक अलग-अलग बार मिलाकर कुल 3 बार UP के CM रहे। इन्हें हिन्दी से बड़ा प्यार था। इन्होंने ही सरकारी दफ्तरों में हिन्दी मे काम करने आदत डलवाई। मोतीलाल मेमोरियल सोसाइटी, आचार्य नरेंद्र देव स्मृति भवन और रविंद्रालय की स्थापना कराई।
गुप्ताजी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से MA, LLB किया था। इनका एक किस्सा बड़ा मशहूर है। लखनऊ में उनकी सरकार के खिलाफ 1000 लोग प्रदर्शन कर रहे थे, तब उन्होंने प्रदर्शनकारियों के लिए पूड़ी सब्जी भिजवाई थी। कहते हैं, ये उनके लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ने का असर था। उन्होंने यहां से अदब सीखा था।
नतीजाः मौके 3 मिले लेकिन पारी लंबी नहीं हुई
- कितनी बार CM बनेः 3 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 4 साल
- कितने बिल पास कराएः उपलब्ध नहीं, लेकिन 4 बड़े फैसले
5. चुनाव न हारने वाले चरण सिंह, वकालत पढ़े थे
सीएमः चौधरी चरण सिंह – BSc, MA और लॉ
चरण सिंह 1967 से 1970 के बीच 2 बार CM रहे। आगरा कॉलेज से BSc और इतिहास में MA की डिग्री हासिल की। फिर लॉ की पढ़ाई कर उन्होंने गाजियाबाद में वकालत की। इनका एक रिकॉर्ड है। ये कोई चुनाव नहीं हारे।
CM रहते इन्होंने खाद पर से सेल्स टैक्स हटा लिया। लेखपाल का पद बनाया। मंत्रियों के वेतन और दूसरे लाभों को काफी कम किया। बिजली का 50% गांवों में दिया गया। बिजलीघर शहर व गांव दोनों में समान किए गए। गांवों में पेयजल और सड़क निर्माण का काम तेजी से करवाया।
नतीजाः सपने बड़े थे, सिर्फ UP में नहीं समाए
- कितनी बार CM बनेः 2 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 1 साल 6 महीना
- कितने बिल पास कराए – उपलब्ध नहीं, लेकिन 5 बड़े फैसले किए
- UP से निकलकर देश के PM बने
6. बिखरती कांग्रेस को BA पास कराया
सीएमः त्रिभुवन नारायण सिंह – BA
साल 1970 से 1971 के बीच सिर्फ 6 महीने CM रहे। उन्होंने बनारस के काशी विद्यापीठ से BA किया था। उसके बाद पत्रकारिता शुरू कर दी थी। वो न कभी चुनाव लड़े, न विधान परिषद के सदस्य बने, लेकिन राजनीति में भूचाल आया हुआ था। संजय गांधी से परेशान नेता इधर-उधर बिदक रहे थे। तब कांग्रेस ने इन्हें CM बनाया था। हालांकि, ये प्रयोग सफल नहीं हुआ।
नतीजाः तुक्के से CM बने थे, लेकिन 36 कानून बना गए
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 6 महीना
- कितने बिल पास कराए – 36 अधिनियम
7. डी. लिट की उपाधि वाले CM कमलापति
सीएमः कमलापति त्रिपाठी – डी.लिट
साल 1971 से 1973 के बीच UP के CM रहे। उन्होंने काशी विद्यापीठ से डी.लिट किया। डी. लिट यानी डॉक्टर आफ लेटर्स। ये PhD के बाद मिलती है। ये मानिए कि एकेडमिक पढ़ाई में ये आखिरी पड़ाव है। इससे ज्यादा पढ़ोगे तो घरवाले कहीं घर से न निकाल दें। बहरहाल, पढ़ाई के बाद राजनीति में आए। वह 1975 से 1977 और फिर 1980 में रेलमंत्री भी रहे। उन्होंने रेल मंत्रालय में रहते हुए UP में कई नई ट्रेनें भी चलवाईं थी।
नतीजाः पढ़े-लिखे तो थे, लेकिन सत्ता चलाने नहीं आया
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 2 साल
- कितने बिल पास कराए – 93 अधिनियम
8. सिर्फ BA किया था, लेकिन नेतागिरी समझते थे
सीएमः हेमवती नंदन बहुगुणा – BA
साल 1973 से 1975 तक CM रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से BA किया था। अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षकों का कई बार वेतन बढ़ाया, जिससे हर तरफ उनकी वाहवाही हुई।
नतीजाः 2 साल में 91 कानून बनवा डाले, लेकिन दोबारा मौका नहीं मिला
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 2 साल
- कितने बिल पास कराए – 91 अधिनियम
9. वकालत छोड़ के नेता बने, आपातकाल ने CM बनाया
सीएमः राम नरेश यादव – LLB
साल 1977 से 1979 के बीच CM रहे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से BA, MA और LLB की पढ़ाई की। वकील थे, भाषण समझते थे। आपातकाल के वक्त खूब पॉपुलर हुए थे। कहते हैं कि इस्तीफा हमेशा उनकी जेब में रखकर घूमते थे। फिल्म सूर्या में राजकुमार ने उन्हीं की स्टाइल को कॉपी किया था।
नतीजाः मौके को भुना नहीं पाए
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 2 साल
- कितने बिल पास कराए – 56 अधिनियम
10. ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन नेता तगड़े थे
सीएमः बनारसी दास – हाईस्कूल
साल 1979 से 1980 के बीच CM रहे। बुलंदशहर के राजकीय विद्यालय कक्षा-6 तक पढ़ाई की। जब 16 साल के थे तभी अपने गांव में कन्या पाठशाला खोली थी। खुद पढ़ाते भी थे। किस्मत को कुछ और मंजूर था। ‘बिड़ला कॉलेज’ में पढ़ते थे, तभी देश बचाने निकल पड़े। स्वतंत्रता आंदोलनों से जुड़े। बाद में CM बने। इतने ईमानदार थे कि मुख्यमंत्री फंड को ही आडिट करने का आदेश दिया था।
नतीजाः ईमानदारी ले डूबी
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 1 साल
- कितने बिल पास कराए – 35 अधिनियम
11. राजा के बेटे थे, लेकिन पढ़ने में तेज थे
सीएमः विश्वनाथ प्रताप सिंह – BA और लॉ
साल 1980 से 1982 के बीच CM रहे। मांडा के राजा के बेटे थे। लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से BA और लॉ की पढ़ाई की। चाहते तो राजपाठ संभालते, लेकिन निकल गए पुणे। पुणे विश्वविद्यालय के फर्ग्यूसन कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन भी किया। बाद में CM बने, तब भी मोटर-साइकिल से दौरे पर निकलते थे। आगे बढ़ने की यही चाहत उन्हें PM की गद्दी तक ले गई।
नतीजाः कुछ कर गुजरने की भूख पीएम की गद्दी तक ले गई
- कितने बिल पास कराए – 72 अधिनियम
- UP से निकलकर PM बने
12. जज का पद छोड़कर गांव के प्रधान का चुनाव लड़ गए थे
सीएमः श्रीपति मिश्र – लखनऊ से उच्च शिक्षा हासिल की
साल 1982 से 1984 के बीच CM रहे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सुल्तानपुर में हुई और उच्च शिक्षा के लिए वह लखनऊ चले गए। वहां से वकालत की पढ़ाई की। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बने। फिर इस्तीफा दे दिया। पता है क्यों?
गांव की प्रधानी का चुनाव लड़ना चाहते थे। लड़े, जीते। तब तक, जब तक सीएम नहीं बन गए। पहले सांसद बने थे। चौधरी चरण सिंह के कहने पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री बन गए। इसी के बाद CM बने।
नतीजाः यूपी में कुछ करना चाहते थे, लेकिन चल नहीं पाए
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 2 साल
- कितने बिल पास कराएः 82 अधिनियम
13. बहुत पढ़े-लिखे थे, लेकिन सरकार चलाने नहीं आया
सीएमः वीर बहादुर सिंह – MA और डीलिट
साल 1985 से 1988 के बीच UP के CM रहे। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से MA और डीलिट किया था। अपने देशी अंदाज और अक्खड़ रवैये के लिए पहचाने जाते थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में युवाओं को सरकारी नौकरी देने का काम किया। प्रदेश में चौड़े सड़क मार्ग, सर्किट हाउस और लखनऊ में तारामंडल बनवाए थे।
नतीजाः अक्खड़ रहे पर वो काम नहीं आया
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 3 साल
- कितने बिल पास कराए – 71 अधिनियम
14. पैंतरे खूब आते थे, लेकिन जनता के नेता नहीं बन सके
सीएमः नारायण दत्त तिवारी – MA और LLB
साल 1976 से लेकर 1988 तक अलग-अलग समय पर 4 बार CM रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से MA और LLB किया था। वकालत के समय से ही राजनीति में आ गए थे। कभी सपा में रहते, तो कभी कांग्रेस के हो जाते थे और राजनिति के अंतिम दिनों में उन्होंने भाजपा से भी करीबी बनाई। वह उत्तराखंड के CM भी रहे।
नतीजाः तिकड़म से 5 साल जमे रहे
- कितनी बार CM बनेः 4 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 5 साल
- कितने बिल पास कराए – 150 अधिनियम
15. फिजिक्स के लेक्चरर रहे हैं राजनाथ
सीएमः राजनाथ सिंह – MSc
साल 2000 से 2002 के बीच CM रहे। फिजिक्स में गोरखपुर यूनिवर्सिटी से MSc किया, फिर मिर्जापुर आकर केवी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में पढ़ाने लगे। कोई आपसे पूछे कि राजनीति में इस वक्त सबसे साफ हिन्दी कौन बोलता है, तो आप तपाक के से राजनाथ सिंह कहेंगे। नेतागिरी भी खूब आती है। जो मुकाम मिलना चाहिए, वो नहीं मिला शायद। जब BJP अध्यक्ष थे तब नरेंद्र मोदी को PM कैंडिडेट बनाया। आज BJP टॉप पर है। राजनाथ सिर्फ रक्षा मंत्री हैं।
नतीजाः पारी लंबी हुई, लेकिन यूपी में नहीं
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 2 साल
- कितने बिल पास कराए: 56 अधिनियम
- बेरोजगारीः 1000 में से 29 शहरी व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से 8 ग्रामीण व्यक्ति बेरोजगार
16. BA पास थे, लेकिन नैतिकता कूट-कूट के भरी थी
सीएमः कल्याण सिंह – BA और LT
वह 1991 से 1999 के बीच वो दो बार CM बने थे। उन्होंने अलीगढ़ के डीएस डिग्री कॉलेज से BA और LT किया। कल्याण सिंह ने सूबे की शिक्षा व्यवस्था को भी पटरी पर ला दिया था। बोर्ड परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने वालों को जेल भेजने का कानून इन्हीं की सरकार में बना था। इन्होंने बाबरी ढांचा गिराने की नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दे दिया था।
नतीजाः आदर्श नेता बनने के चक्कर में मौके चले गए
- कितनी बार CM बनेः 2 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः साढ़े 3 साल
- कितने बिल पास कराए – 140 अधिनियम
- बेरोजगारी- 1000 में से 40 शहरी व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से 8 ग्रामीण व्यक्ति बेरोजगार
17. नेता कम पढ़ाकू शख्स ज्यादा थे
सीएमः राम प्रकाश गुप्ता – M Sc
साल 1999 से 2000 तक CM रहे। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मैथ से M Sc किया और गोल्ड मेडलिस्ट बने। गुप्ताजी के बारे में एक किस्सा बहुत मशहूर है। वे अपने काम में इतना बिजी रहते थे कि अपने ही मंत्रिमंडल के सदस्यों के नाम भूल जाया करते थे। भाषण के दौरान बोलना कुछ और होता था, कह कुछ और जाते थे।
नतीजाः साल भर रहे पर बेरोजगारी बढ़ा गए
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 1 साल
- कितने बिल पास कराए – 36 अधिनियम
- बेरोजगारी- 1000 में से शहरी 41 व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से ग्रामीण 8 व्यक्ति बेरोजगार
18. पहलवान बनना था, CM बन गए
सीएमः मुलायम सिंह यादव – MA
साल 1989 से 2003 के बीच 3 CM रहे। मुलायम का सपना पहलवान बनने का था, लेकिन जब सियासत के अखाड़े में आए तो ऐसा लगा कि इनसे कोई पंगा नहीं ले सकता। नेताजी राज नारायण खेमे के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने रायबरेली से 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी को हराया था। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस से MA किया।
नतीजाः खिलाड़ी नेता रहे, बेटे को सीएम बनाया
- कितनी बार CM बनेः 3 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 8 साल
- कितने बिल पास कराएः 235 अधिनियम
- प्रदेश की GDP: 2.6 से 3.0 करोड़ रुपये
- बेरोजगारी- 1000 में से 33 शहरी व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से 6 ग्रामीण व्यक्ति बेरोजगार
19.अब तक मायावती की पढ़ने की आदत गई नहीं है
सीएमः मायावती – BA, B Ed और LLB
साल 1995 से 2012 के बीच 4 बार CM रहीं। उन्होंने BA, B Ed और LLB किया है। पढ़ने की आदत ऐसी कि आज भी जब कभी कोई ऐलान करना होता है तो लिखकर लाती हैं और पढ़कर सुनाती हैं। मायावती के नाम दो रिकॉर्ड रहे। पहला, वह प्रदेश की सबसे युवा CM रहीं। दूसरा, वह देश की पहली अनुसूचित जाति की महिला CM बनीं।
नतीजाः भरोसा दिया कि अनुसूचित जाति की CM भी हो सकती है
- कितनी बार CM बनींः 4 बार
- कितने साल सत्ता में रहींः 6 साल
- कितने बिल पास कराएः 158 अधिनियम
- प्रदेश की GDP: 3.2 से 7.5 करोड़ रुपये
- बेरोजगारीः 1000 में से 41 शहरी व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से 9 ग्रामीण व्यक्ति बेरोजगार
20. इंजीनियर हैं, फॉरेन में पढ़ाई की है, नेता बनने की कोशिश जारी है
सीएमः अखिलेश यादव – BE सिविल एनवायरमेंट और एनवायरमेंट इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन
साल 2012 से 2017 तक CM रहे। अखिलेश ने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर से BE सिविल एनवायरमेंट की डिग्री हासिल की है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी से एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग में पोस्ट-ग्रेजुएशन भी किया। अखिलेश राजनीति में साल 2000 में आए। इसी साल कन्नौज सीट का उपचुनाव जीतकर वो संसद पहुंचे। तब उनकी उम्र सिर्फ 26 साल थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में टीपू UP का सुल्तान बना।
नतीजाः इनके टाइम पर बेरोजगारी बढ़ी, परिवार में फूट भी
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 5 साल
- कितने बिल पास कराए – 65 अधिनियम
- प्रदेश की GDP: 7.2 से 10.1 करोड़ रुपये
- बेरोजगारीः 1000 में से 97 शहरी व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से 55 ग्रामीण व्यक्ति बेरोजगार
21. संन्यासी बनते-बनते CM बन बैठे
सीएमः योगी आदित्यनाथ – B Sc
2017 से अभी तक CM हैं। योगी आदित्यनाथ ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से B Sc किया है। उत्तराखंड के एक फॉरेस्ट रेंजर के युवा बेटे ने घर छोड़ कर संन्यास लेने का इरादा किया था। फिर अजय मोहन बिष्ट गोरखनाथ मठ पहुंचे और वहां योगी आदित्यनाथ बन गए। योगी 5 बार से गोरखपुर से सांसद बने।
2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने CM की कुर्सी संभाली को वे संत से सीधे प्रदेश के फायरब्रांड नेता बन गए। प्रदेश की कानून व्यवस्था मजबूत करने, एंटी रोमियो स्क्वॉड, अवैध बूचड़खानों की तालाबंदी, शादी के लिए धर्म परिवर्तन पर कानून जैसी नीतियां बनाने का दावा करते हैं।
नतीजाः इनके राज में भी बढ़ी है बेरोजगारी, अब फैसला 10 मार्च को
- कितनी बार CM बनेः 1 बार
- कितने साल सत्ता में रहेः 5 साल
- कितने बिल पास कराए – 120 अधिनियम
- प्रदेश की GDP: 10.5 से 10.9 करोड़ रुपये
- बेरोजगारी: 1000 में से 106 शहरी व्यक्ति बेरोजगार और 1000 में से 43 ग्रामीण व्यक्ति बेरोजगार
22. फिर से ग्रेजुएट या कुछ और, 47 दिन में पता चलेगा
UP तैयार है प्रदेश के नए CM को चुनने के लिए। क्या इस बार भी जाति-धर्म पर वोट पड़ेगा या जनता सोच विचार कर सत्ता की कुर्सी किसी जिम्मेदार नेता को सौंपेगी। इसका फैसला 10 मार्च को होने वाला है।
डेटा इनपुटः जनार्दन पांडेय