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कर्नाटक में चुनाव नहीं लड़ेंगे येदियुरप्पा:कहा

बैंगलोर3 घंटे पहले

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बीएस येदियुरप्पा बीजेपी की केंद्रीय मंडल समिति के सदस्य भी हैं।  - दैनिक भास्कर

बीएस येदियुरप्पा बीजेपी की केंद्रीय मंडल समिति के सदस्य भी हैं।

कर्नाटक के पूर्व बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को चुनावी राजनीति से घोषणा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि वे आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और न ही भविष्य में उनकी कोई चुनाव लड़ने की इच्छा है। येदियुरप्पा ने कहा- मैं अभी 80 साल का हूं। मैं चुनाव नहीं लड़ सकता। हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे।

बता दें कि राज्य में चुनाव हो सकता है। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, पार्टी में येदियुरप्पा की अहमियत बढ़ रही है। वे पार्टी की केंद्रीय संसदीय समिति के सदस्य भी हैं। लिंगायत समुदाय उनके साथ है। पूर्व ने कहा कि मेरा लक्ष्य 2024 में मोदी सरकार को सत्ता में वापस लाना है।

बेटे को राजनीति में अलग करना चाहते हैं येदियुरप्पा
माना जा रहा है कि येदियुरप्पा अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र को कर्नाटक की राजनीति में अलग करना चाहते हैं। उन्होंने सबसे पहले घोषणा की थी कि विजयेंद्र हंटरपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे, जिसके वे प्रतिनिधि हैं। बाद में उन्होंने कहा कि पार्टी इस पर अंतिम फैसला लेगी।

पिछले चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, फिर भी सरकार नहीं बनी सकी
224 विधानसभा क्षेत्र कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए बहुमत का पात्र 113 है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 104 सीटें मिली थीं। जबकि कांग्रेस ने 32 और जेडीएस ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी।

100 से ज्यादा सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई थी, क्योंकि जेडीएस ने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दे दिया था। कांगेस के समर्थन से जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को भूमिका दी गई थी।

करीब डेढ़ साल जीने के बाद कुमारस्वामी को अविश्ववास प्रस्ताव का लाभ उठाना पड़ा, जिसमें वे बहुमत साबित नहीं कर पाए। बाद में बीजेपी ने येदियुरप्पा को राज्य का भागीदार बनाया। इसके बाद जुलाई 2021 में येदियुरप्पा ने सदस्यता के पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह बसवज बोम्मई को क्लिक किया गया। बोम्मई उस समय राज्य के गृह मंत्री थे। बता दें कि मौजूदा सीएम भी लिंगायत समुदाय से आते हैं।

येदियुरप्पा के अलग होने से बीजेपी 2009 में हार गई थी
2009 में जेडीएस ने भाजपा के लिए चाहा येदियुरप्पा को चाह-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले के तहत समर्थन नहीं दिया था, तो सरकार गिर गई थी। उसके बाद सहानुभूति फैक्टर येदियुरप्पा के पक्ष में रहा और बीजेपी चुनाव में नजर। इसके बाद येदियुरप्पा बीजेपी से अलग हो गए तो बीजेपी चुनाव हार गई।

येदियुरप्पा 4 बार जी रहे, कभी पूरा नहीं कर पाए
येदियुरप्पा सबसे पहले 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के बने, लेकिन सात दिन बाद 19 नवंबर 2007 को ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 30 मई 2008 को दूसरी बार क्लिक बने। भ्रष्टाचार के गंभीर घोटाले के कारण इस बार 4 अगस्त 2011 को इस्तीफ़ा दे दिया गया। तीसरी बार 17 मई 2018 को रनवे पर बने रहें और छह दिन बाद 23 मई 2018 को इस्तीफा दे दिया गया। चौथी बार 26 जुलाई 2019 को दो साल बाद इस्तीफा दे दिया।

कर्नाटक में लिंगायत प्रभाव 100 विधानसभा क्षेत्रों पर
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय 17% के आसपास है। राज्य की पहले से आबादी पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। ऐसे में भाजपा के लिए येदि को देखना आसान नहीं होगा। ऐसा होने का मतलब इस समुदाय के वोटों को खोना होगा।

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