एंटीलिया केस के बीच नया खुलासा: महाराष्ट्र के पुलिस विभाग में ट्रांसफर का रैकेट चलाने वाले दलाल हैं; इंटेलीजेंस कमिश्नर की रिपोर्ट पर कार्रवाई की बजाय उन्हें ही हटा दिया गया
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- परमबीर सिंह लेटर केस अपडेट; महाराष्ट्र पुलिस विभाग स्थानांतरण भर्ती रैकेट और अनिल देशमुख
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मुंबई 10 दिन पहले
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- इंटेलीजेंस की पूर्व कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक इंस्पेक्टर से लेकर आईपीएस तक दलालों के संपर्क में थे
) एंटीलिया केस के बीच मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ जांच की मांग करते हैं सोमवार सोमवार को अर्जी लगाई है। इसमें कहा गया कि देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है। अपनी अर्जी में परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार की एक और शिकायत का जिक्र किया है। यह शिकायत अगस्त 2020 की है जो स्टेट इंटेलीजेंस विभाग की उस समय की कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने राज्य सरकार से की थी।
दलालों के माध्यम से पुलिस अफसरों को मनचाही पोस्टिंग ) इस शिकायत में रश्मि शुक्ला ने बताया था कि कैसे महाराष्ट्र में पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग दलालों के जरिए होने की शिकायतें मिल रही हैं। दलालों का यह नेटवर्क अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर पोस्टिंग के बदले पुलिसवालों से बड़ी रकम वसूल रहा है। रश्मि शुक्ला ने महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक से यह शिकायत की थी, लेकिन इसके बाद उन्हे इंटेलीजेंस विभाग से हटा दिया गया। परमबीर सिंह का आरोप है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
25 अगस्त 2020 को की गई थी सिफारिश अगस्त 2020 को उस समय के पुलिस महानिदेशक (DGP) को पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा कि उनमें ढेर सारी शिकायतें मिली हैं। इससे पता चलता है कि पुलिस विभाग में ब्रोकर्स का नेटवर्क चल रहा है। खासकर ऐसे लोग जो पॉलिटिकल कनेक्शन वाले हैं। ये लोग पुलिस अधिकारियों की चाहत वाली पोस्ट पर उन्हें भिजवाते हैं। इसके एवज में उन्हें काफी पैसे मिलते हैं। आरोपियों के फोन सेवालाओं पर लिए गए शुक्ला ने पत्र में लिखा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए उन सभी लोगों के फोन नंबर की रिकॉर्डिंग की गई, जो इससे जुड़े हैं। जब रिकॉर्डिंग से जुटाए गए आंकड़ों की जांच की गई तो ये आरोप सही पाए गए। इंस्पेक्टर से लेकर IPS तक इन ब्रोकर्स के संपर्क में हैं।
पत्र के मुताबिक जून 2017 ियां इसी तरह की उपलब्धियों के पाए गए थे। उस समय मुंबई पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें मुख्य आरोपी बंदा नवाज मनेर था। यह फिर से उसी धंधे में लिपट पाया गया। इसके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया गया और इसका मामला अभी भी लंबित है।
रश्मि शुक्ला ने कहा कि इसकी डिटेल रिपोर्ट भेजें की गई है। साथ ही एक लिफाफे में सर्विसेजलांस ट्रांसफर भी दी गई है। इसके बाद उन्होंने हाई लेवल जांच कराने की मांग की थी। साथ ही इन लोगों के खिलाफ प्रकरण कार्रवाई की सिफारिश भी की थी। डीजी ने पूछा था कि फोन रिकॉर्ड की मंजूरी रिकॉर्डिंग अतिरिक्त मुख्य सचिव से कॉल रिकॉर्डिंग की मंजूरी मांगी गई थी। रश्मि शुक्ला ने आरोपियों के फोन रिकॉर्ड करवाए थे। जायसवाल ने 26 अगस्त 2020 को उस समय के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को शिकायत सौंप दी। जायसवाल ने कहा था कि इसकी सीआईडी जांच की जाएगी और मुख्यमंत्री को इस बारे में बताया जाएगा। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री कोटव ठाकरे को दी गई। बाद में इसकी जांच गृह मंत्रालय द्वारा की भी गई। हालांकि इस पर कार्रवाई करने के बजाय रश्मि शुक्ला का प्रमोशन ही रोक दिया गया और उनके जूनियर को प्रमोशन दे दिया गया।
महाराष्ट्र के नेता विपक्ष देवेंद्र फड़नवीस ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने मंगलवार शाम को केंद्रीय गृह सचिव जय कुमार भल्ला से मिलकर उन सीलबंद लिफाफे में सारे सबूत सौंपे। बता दें कि 2017 में भी ऐसे आंदोलनों में चलने का आरोप है, उस समय देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री थे। गृह विभाग भी उन्हीं के पास था। एक होटल में उस समय यह सब सौदा चल रहा था। कुछ पुलिस अधिकारी उसमें जाने वाले थे। उस मामले में पुलिस ने सभी 7 लोगों को गिरफ्तार किया था।
फडणवीस ने भी उद्धव सरकार पर आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में ट्रांसफर के नाम पर आरोप्वत का खेल चल रहा है, लेकिन सीएम कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।