उडौर VS शिंदे विवाद में SC का गवर्नर से सवाल: ऐसा कौन सा संवैधानिक संकट था, जिसे किसी ने नहीं बुलाया? यह लोकतंत्र की एक दुखद तस्वीर है
नई दिल्ली19 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
- वीडियो
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को CJI देवय चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के बेरोजगार विवाद पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कई सवाल किए। CJI ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जल्दबाजी में सत्र बुलाने का फैसला किया है। उनके इस फैसले के कारण उनकी भूमिका पर कई सवाल खड़े होते हैं।
आरोपित है कि महाराष्ट्र में भाजपा विवाद मामले की सुनवाई CJI के अध्यक्ष 5 जजों के संविधान छात्र कर रहे हैं। मामले में 5 याचिकाएं दायर की गई हैं।
पढ़ें CJI ने राज्यपाल को लेकर क्या-क्या कहा…
- क्या राज्यपाल सिर्फ इसलिए सरकार गिरा सकते हैं क्योंकि किसी विधायक ने उनसे कहा है कि उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है।
- विश्वास मत क्यों बुलाओ? क्या कोई संवैधानिक संकट था? किसी की सुरक्षा विश्वास मत बुलाने का आधार नहीं हो सकता।
- राज्य की सरकार को गिराने में राज्यपाल अपनी मर्जी से सहयोगी नहीं हो सकते। लोकतंत्र में यह एक दुखद तस्वीर है।
- राज्यपाल को खुद से ये पूछना चाहिए कि एक रात में 3 साल का रिश्ता कैसे टूट गया। राज्यपाल बेखबर नहीं हो सकते।

राज्यपाल के पक्ष में बोलें SG मेहता
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बचाव करते हुए तुषार मेहता ने कहा- भाजपा विधायक दल ने एकनाथ शिंदे को नेता चुना था। इसलिए राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया था। 25 जून को 38 चश्मदीद हस्ताक्षर करने वाला पत्र राज्यपाल के पास सिग्नल। बताया गया है कि उनकी जान को खतरा है। कुछ न्यूज चैनलों की क्लिप भी दी गई है। छोटे दलों के 38 विधायक और निर्दलीय सहित 47 ने राज्यपाल को धमकियों की जानकारी दी। इन प्रकार की संभावना की मांग की थी।
भाजपा विधायक दल ने 28 जून को राज्यपाल को पत्र लिखा था। इस पर देवेंद्र फडणवीस के हस्ताक्षर थे। इसमें लिखा था कि ठाकरे सरकार के पास बहुमत नहीं है। ठाकरे सरकार दल-बदल कानून और शक्तियों का रवैया अपनाकर कुछ वरीयता को अयोग्य घोषित करने की कोशिश कर रहा है। इसी पत्र में फ्लोर टेस्ट की मांग भी की गई थी।
सीजेआई के रात-रात गठबंधन टूटने के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा- इसका जवाब देना मेरा काम नहीं है। यह एक राजनीतिक बहस का नाम है। मेहता ने यह भी कहा कि शिंदे गुटके को रैकेट दी जा रही थी। ऐसे में क्या गवर्नर नाराज होकर बैठे रहें।
यह था महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की शुरुआती घटनाएं
20 जून को बीजेपी के 15 विधायक 10 निर्दलीय नामांकन के साथ पहले बाजार और फिर असम के लिए निकल गए। 23 जून को शिंदे ने दावा किया कि उनके पास बीजेपी के 35 रजिस्टर का समर्थन प्राप्त है। बाद में जारी किया गया।
25 जून को डिप्टी स्पीकर ने 16 लाइक सब्सक्राइबर को सदस्यता रद्द करने के नोटिस भेजे। बागी विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट। 26 जून को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजे।
28 जून को राज्यपाल ने बहुमत को बहुमत साबित करने के लिए कहा। देवेंद्र फडणवीस ने मांग की थी। 29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उडान ने प्रस्थान से इस्तीफा दे दिया।
30 जून को एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के लिए बने। बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस उप उपर बनाए गए।
बीजेपी विवाद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
शिंदे में हुई बीजेपी, एरो-कमान निशान भी मिले

चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को वास्तविक बीजेपी मान लिया है। आयोग ने आज शाम को समूह को शिंदे को बीजेपी का नाम और एरो-कमान का निशान इस्तेमाल करने की अनुमति दी। आयोग ने पाया कि बीजेपी का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उडौड़ो गुट बिना चुनाव अपने मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से जुड़े कर्मचारियों के लिए इसे मिटा देगा। पढ़ें पूरी खबर…