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आवारा कुत्तों को असम भेजो, महाराष्ट्र के विधायक के बयान: बच्चू कडू ने कहा

आवारा कुत्तों को असम भेजो, महाराष्ट्र के विधायक के बयान:बच्चेचू कडू ने कहा- वहां के लोगों के कुत्ते के फायदे हैं; लवर्स नाराज

मुंबई3 घंटे पहले

महाराष्ट्र में विधायक बच्चेकूकू के आवारा कुत्तों ने दिए बयान से पशुप्रेमी नाराज हैं।

महाराष्ट्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के लिए विधायक ओमप्रकाश बाबाराव कडू ऊचू ने सलाह दी है। उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को असम भेजा जाना चाहिए। वहां के लोगों के कुत्तों के फायदे हैं। अभी एक शहर में यह प्रयोग करना चाहिए। यदि सफल हो तो इसे पूरे राज्य में लागू करना चाहिए। कडू झटका जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं। अचलपुर से विधायक हैं।

कडू ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान यह बयान दिया था। वह आवारा कुत्तों के कारण रहने वाले पूर्वज प्रताप सरनाइक और अतुल भाटखलकर द्वारा मुद्दों पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। अब उनके बयानों पर डॉग लवर्स ने नाराज होकर इसे गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है।

कडू ने कहा- आठ से नौ हजार रुपए में कुत्ते बिकते हैं

महाराष्ट्र विधानसभा में मारा-मारा, जनशक्ति पार्टी, बच्चू कूडू।

महाराष्ट्र विधानसभा में मारा-मारा, जनशक्ति पार्टी, बच्चू कूडू।

बीजेपी में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद बच्चेचू कडू भी असम की राजधानी गुवाहाटी गए थे। उन्होंने कहा कि कुत्तों की असम में कीमत है। वहां आठ से नौ हजार रुपए में कुत्ते बिकते हैं। जब हम असमंजस में थे तो पता चला कि जिस तरह से उनका बकरे का मांस लिया जाता है, उसी तरह असम में कुत्तों का मांस खाया जाता है। ऐसे में वहां के लिए प्रक्रिया को बुलाने के लिए इस पर उपाय योजना करने की आवश्यकता है। एक दिन आवारा कुत्तों की समस्या का हल निकल जाएगा। इसके लिए असम की सरकार से बातचीत करने की जरूरतें।

एनिमलबोली- बोली-अपमानजनक
विधायक कडू के इस जमा पर पशु अधिकारों की लड़ाई वाले कार्यकर्ता और समर्थकों ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि विधायक का यह बयान अमानवीय और अपमानजनक है।

झारखंड में बीजेपी विधायक ने की थी टिप्पणी
झारखंड के बोकारो से बीजेपी विधायक बिरंची नारायण ने हाल ही में आवारा कुत्तों के लोगों पर हमला करने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार की समस्या का समाधान नहीं मिलता है, तो नगालैंड के लोगों को समस्या दूर हो जाएगी। बजट सत्र के दौरान स्टेट असेंबली में दावा किया गया कि अकेले रेजीवर्टी डॉग बाइट सेंटर में प्रतिदिन करीब 300 लोग अक्षरों में हैं।

नागालैंड के विधायक ने कहा था- कुछ लोग तो हमें बेयर ग्रिल्स के रिश्ते को समझने लगे हैं
12 फरवरी को एक लड़की का वीडियो वायरल हुआ था। हरियाणा के सूरजकुंड मेले में नगालैंड पहुंची एक लड़की ने बहुत गुस्से में कहा, ‘लोग हमारे स्टॉल पर आ जाते हैं, वे स्टॉल या राज्य के बारे में बात नहीं करते, पूछते हैं कि क्या आप सांप और कुत्ते से मिलते हैं। ये क्या सवाल हुआ।’ इस पर मजाकिया बयानों के लिए दिशानिर्देश में रहने वाले नगालैंड के मंत्री टेमजेन इम्ना आलॉन्ग ने अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा, ‘कुछ लोग तो हमें बेयर ग्रिल्स के रिश्ते को समझने लगे हैं। ये ठीक नहीं हैं। पूछना है तो गूगल से पूछो। न मिले, तो मुझसे पूछो।’

असम के बाजार में मेंढक, ईल, पक्षी, चूहे, सब मिलते हैं
असम के दीमापुर मीट मार्केट में जिंदा ईलों के कब्जे हैं। प्लास्टिक की थैलियों में मेंढक रखते हैं। पिंजरों में कैद हो जाते हैं और प्याज के ढेर की तरह जीवित कीड़े बिक जाते हैं। बोरियों में बंधे कुत्तों के मुंह पर पतली रस्सी बंधी रहती है, जिससे ये शोर न करें।

बिंदाग ला के मुताबिक, दीनापुर का यह मार्केट 2005 में शुरू हुआ था।  कुछ महीने पहले इसे रेनोवेट किया गया है।

बिंदाग ला के मुताबिक, दीनापुर का यह मार्केट 2005 में शुरू हुआ था। कुछ महीने पहले इसे रेनोवेट किया गया है।

सिर्फ 50 रुपये में, फिर डॉग मिलने की दुकान लगाने की छूट
बाजार में दुकान लगाने के लिए दिन के 50 रुपए देते हैं। इसमें 40 रुपए ऑफिस और 10 रुपए नगर निगम को जाता है। ये पैसे देकर कोई भी दुकान लग सकता है, भले ही कुत्ता खरीदा या खरीदा गया हो।

नौकरीपेशा और गर्भवती नौकरीपेशा कुत्ते मिलते हैं
डॉग मीट पर एक बार बैन लग चुका है। इससे बहुत परेशानी हो गई थी। प्रतिबंध के बाद पहले ही दिन इसकी बिक्री बंद कर दी गई थी। फिर हमारी बात शुरू हुई और अब दोबारा बिक्री शुरू हो गई है। यहां सभी लोग कुत्तों से नहीं मिलते हैं। इसमें बहुत प्रोटीन होता है, इसलिए गर्भवती महिलाएं, कैंसर के रोगी, इलाज करवा रहे हैं या ऑपरेशन करवा लोग इसके फायदे हैं। इसके सुपर में बहुत ताकत होती है।

प्रतिबंधित पशु का मिल भी रहा हूं
दीनापुर बाजार में मेंढक के अलावा भैंस और हिरण भी बिकता है। हिरण के शिकार पर भी प्रतिबंध है। हमें यहां भैंस की चादरें भी बिकता दिखा। भारत में खाद्य और मानक अधिनियम 2006 के तहत मांस के लिए कुत्तों को मारने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद डॉग मीट बिक रहा है।

2016 में डॉग मीट बैन करने की मांग शुरू हुई
नागालैंड में डॉग मीट खाने की पुरानी परंपरा रही है, लेकिन साल 2016 में यह सबसे ज्यादा प्रमुख पुस्तकें आईं। तब डॉग मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार को कानूनी नोटिस भेजा गया था।

इसके बाद दीमापुर सुपर मार्केट में पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता दिखाने के लिए टूरिस्ट, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता आयेंगे। नगालैंड में डॉग मीट बेचने वाले कई पशु कल्याणकारी कार्यकर्ता खड़े हो गए और मामला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया।

दीमापुर के बाजार में मीट भी बिक रहे हैं।  इन्हें छोटे-दादा पिंजरों में भरकर रखा जाता है।

दीमापुर के बाजार में मीट भी बिक रहे हैं। इन्हें छोटे-दादा पिंजरो ं में भरकर रखा जाता है।

कुत्ते से मिलना देश में प्रतिबंधित है
नागालैंड में मिलने के लिए कुत्तों की बिक्री रोकने के लिए FIAPO (भारतीय पशु संरक्षण संगठन संघ) और दीमापुर नगर परिषद (DMC) कोशिश कर रहे हैं। FIAPO का लीगल मैनेजर वर्णिका सिंह कहते हैं, ‘हम 2016 से इसे रोकने में लगे हैं। हमारी लगातार संस्था राज्य और केंद्र सरकार को पत्र लिख रही थी। FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) की एक अधिसूचना के अनुसार, कुत्तों से मिलना प्रतिबंधित है।’

वे कहते हैं कि ‘खुले में कुत्ते से मिलने से कई बीमारियाँ हो सकती हैं। हमारी कंपनी में पाया गया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में कुत्ते की तस्करी भी होती है। जिस तरह उन्हें लाया जाता है, वह भी रुलाता है। उनका मुंह बंद कर, रस्सी में जुड़कर और बाइक में लटकाकर बाजार तक लाया जाता है। कई बार सीमा पर कुत्ते का तस्कर करते हुए लोग पकड़े गए हैं। 2020 में इसे प्रतिबंधित करने के लिए सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। इसके बावजूद यह बाजार में बिक रहा है।’

असम में कुत्तों की बरामदगी के कुछ मामले

  • 11 दिसंबर, 2022: असम के दारंग जिले में 11 कुत्तों को बचाया गया, दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, दोनों कुत्तों को एक गाड़ी में भरकर कार्बी आंगलोंग की ओर जा रहे थे।
  • 30 नवंबर, 2022: असम के गोलाघाट जिले के नुमालीगढ़ में 50 कुत्ते बरामद हुए, इनमें बोरियों को भरा गया था, उनके पैर और मुंह बांधे गए थे।
  • 16 सितंबर, 2022: असम के बोकाखाट में पुलिस ने कुरुवाबाही में सड़क किनारे छोड़े गए 30 से ज्यादा कुत्ते बरामद हुए थे, उनके मुंह पर टेप बरकरार रखा गया था।
  • सितंबर, 2022: असम के कछार जिले से 16 कुत्तों को जीवित रखा गया था, यहां से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

कानून कमज़ोर, इसलिए कुत्ते से नहीं मिला
समुदाय से वकील वर्णिका सिंह ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट 1960 के सेक्शन-11 के तहत बताया गया है कि पशुओं के साथ किस तरह का बर्ताव क्रूरता में आता है। वे कहते हैं कि ‘कुत्तों के साथ अत्याचार के लिए दी जाने वाली सजा बेहद कम है। खुला आम मीट और डॉग पहचानने वाला पकड़ा जाने पर पहली बार सिर्फ 10 रुपये में और तीन साल में दूसरी बार पकड़े जाने पर 50 रुपये का जुर्माना लगता है।’

‘इसी कानून का लाभ कुत्ते मिलने वाले बिकने वाले हैं। मिलने के लिए एक कुत्ता बेचने वाले को 3,500 से 4,000 हजार रुपये मिलते हैं। कानून जब तक सख्त नहीं होगा, इस पर रोक नहीं लग सकती है।’

नागालैंड सरकार ने 2020 में बैन लगा दिया था
जुलाई 2020 से पहले नगालैंड में डॉग मीट की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं था। 2 जुलाई 2020 को प्रदेश सरकार ने कुत्तों के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही प्रदेश में डॉग मार्केट बंद करने का फैसला लिया। इसके व्यापार और व्यापार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। मार्च 2020 में ही मिजोरम में भी नागरिकों की स्लॉटरिंग यानी कतल के लिए मुनासिब पशु की परिभाषा से कुत्तों को हटाने से जुड़े कानून में संशोधन किया गया था।

उच्च न्यायालय के राज्य से तीन साल तक सरकार के फैसले पर
सरकार के इस फैसले के खिलाफ जुलाई 2020 में दीमापुर के मांस बेचने वाले व्यापारी समझौता हाई कोर्ट की कोहिमा राय गए थे। अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि इस फैसले से उनका कारोबार प्रभावित हुआ है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. हुकातो स्वू ने अगली सुनवाई तक राज्य सरकार के प्रतिबंध वाले फैसले पर रोक लगा दी थी। 3 साल से ज्यादा होने के बावजूद यह याचिका सुनवाई के लिए लंबित है।

डॉग मीट मीट की पुरानी परंपरा
दीमापुर में 15 जनजातियां हैं और यहां कुत्तों से मिलने की पुरानी परंपरा रही है। देश के दूसरे हिस्सों में जैसे लोग मटन और चिकन के फायदे हैं, उसी तरह हम कुत्तों के खाते भी खाते हैं। 2020 से पहले हम एक हफ्ते में एक बार कुत्ते से मिलते थे, अब ऐसा नहीं कर पाते। बैन की वजह से यह काफी महंगा बिक रहा है। सुरो सेमो के मुताबिक, दीमापुर के बाजार में ज्यादातर कुत्ते अलग-अलग दिखते हैं।

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