आठ हजार से ज्यादा करोड़पति छोड़ेंगे भारत
रिपोर्ट के अनुसार, कई युवा उद्यमियों को लगता है कि दुनियाभर में अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें भारत छोड़ना ठीक फैसला है।
अमीरों को विदेशों का वीजा दिलाने में मदद करने वाली कंपनी ‘हेनली एंड पार्टनर्स’ की रिपोर्ट कहती है कि इस साल आठ हजार से ज्यादा धनी लोग भारत छोड़ विदेशों में बस जाएंगे। भारत में कराधान को लेकर सख्त कानूनों और ताकतवर पासपोर्ट पाने की लालसा के चलते देश के ये रईस भारत से विदेशों का रुख करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, कई युवा उद्यमियों को लगता है कि दुनियाभर में अपने कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें भारत छोड़ना ठीक फैसला है। हालांकि, रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि भारत में अगले दस साल में तेजी से अमीरों की तादाद में इजाफा होगा। अरबपति और खरबपतियों की संख्या अगले 10 साल में 80 फीसद बढ़ जाएगी।
ये वे लोग होंगे, जिनके पास निवेश के लायक कम से कम पांच करोड़ रुपए की धनराशि है। ऐसे लोग जिनका पैसा शेयर बाजार, बांड आदि में लगा है। उनके डीमैट अकाउंट या बैंक खाते में कुल मिलाकर पांच करोड़ से ज्यादा रकम है। कुछ मामलों में सात करोड़ से भी ज्यादा। देश में पुराने उद्योगपतियों का जलवा बरकरार है, लेकिन टेक उद्यमियों की एक नई पीढ़ी भी उनके साथ कदमताल करती नजर आ रही है।
अमीर टेक उद्यमियों की यह फौज अपने कारोबार को दूसरे देशों में फैलाने के लिए उत्साहित नजर आ रहे हैं और अपनी पूंजी को ऐसे देशों में लगाना चाहते हैं, जहां कम से कम कर चुकाना पड़े। इसके अलावा देश के ये नई रईस ऐसे देश में बसना चाहते हैं कि जहां रहन-सहन बेहतर हो। बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ियां हों। एक कारोबारी के मुताबिक, भारत में कड़े होते कराधान कानून, अमीरों को करों में छूट न मिलने और वीजा मुक्त आवागमन की सुविधा की इच्छा के चलते बड़ी तादाद में अमीर भारत छोड़ रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमीरों के पारंपरिक ठिकाने रहे ब्रिटेन और अमेरिका अब इन रइसों की पसंदीदा देशों की सूची से बाहर हो चुके हैं। यूरोपीय समुदाय, दुबई और सिंगापुर भी भारतीय रईसों का खूब भा रहे हैं। इनके अलावा तीन देश ऐसे हैं, जिनको लेकर अमीरों ने विशेष दिलचस्पी दिखाई है। वे हैं- माल्टा, मारिशस और मोनैको।
डिजीटल उद्यमी सिंगापुर को अपना ‘स्वर्ग’ मानते हुए वहां जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि सिंगापुर में परिवारिक सुख-सुविधाओं के अलावा वहां की कानून प्रणाली बढ़िया है। दुनियाभर के वित्तीय सलाहकारों के वहां रहने से उन्हें लगता है कि यह डिजीटल उद्यमों के लिए सबसे मुफीद जगह है।
इसके अलावा दुबई गोल्डन वीजा भी भारत छोड़ने वाले अमीरों की पसंदीदा वीजा है, क्योंकि दुबई में किसी कंपनी को अधिग्रहण करना काफी आसान है।
‘हेनली वेल्थ माइग्रेशन डैशबोर्ड’ के अनुसार, इस साल संयुक्त अरब अमीरात में सबसे ज्यादा (कम से कम चार हजार) अमीर लोग जाकर बस सकते हैं। इसके बाद आस्ट्रेलिया में 3,500 और सिंगापुर में 2,800 भारतीय रईसों के जाकर बसने का अनुमान है। इजराइल में 2,500, स्विट्जरलैंड में 2,200 और अमेरिका में 1,500 लोगों के जाने का अनुमान है।
करीब नौ लाख लोगों ने छोड़ा देश
दिसंबर 2021 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि एक जनवरी 2015 से 21 सितंबर 2021 के बीच आठ लाख 81 हजार 254 लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी। राय ने संसद को बताया था कि विदेश मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, एक करोड़ 33 लाख 83 हजार 718 भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जब अमीर भारत छोड़कर विदेशों में बसेंगे तो वहां कारोबार करेंगे, नया निवेश करेंगे। इससे भारत की जगह वे विदेशों में रोजगार देंगे। यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।