अंबाज परंपरा में बदली!: मोहनथाल की जगह चिक्की का प्रसाद बांटने से श्रद्धालुओं ने नाराजगी जताई, हिंदू संगठनों ने भी अल्टीमेटम दिया
अंबाजी में परंपरा वाली!:मोहनथाल की जगह चिक्की का प्रसाद बांटने से नाराज होकर, हिंदू संगठनों ने भी अल्टीमेटम दिया
पालनपुर3 घंटे पहले
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कर्मठों का कहना है कि सालों से चली आ रही परंपरा को गलत माना जाता है।
गुजरात के बनासकांठा स्थित विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ अंवार में मोहनथाल प्रसाद बंद करने का विरोध बढ़ता जा रहा है। शनिवार सुबह मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने परिसर में चिंताएं जताईं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर में मोहनथाल प्रसाद की परंपरा सालों से चली आ रही है। इसकी जगह चिक्की के प्रसाद का प्रदर्शन गलत है। वहीं, हिंदू संगठनों ने भी ट्रस्ट को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।

मोहनथाल की जगह पैकेट में चिक्की का प्रसाद मिलने से स्नेही भक्त।
दूर से आने वाले श्रद्धालु घर ले जाते हैं प्रसाद
अम्बाजी में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु भी अपील कर रहे हैं कि मोहनथाल का प्रसाद बंद न करें। क्योंकि, यहां आने वाले लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रसाद घर ले जाते हैं। इस प्रसाद को बंद करने से आने वाले भक्तों को भी निराशा हो सकती है।

मां अम्बाजी मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग बारह सौ साल पुराना है।
मंदिर के 100 से अधिक कर्मचारी डेक करते हैं
हिंदू संगठन ने मोहनथाल का प्रसाद बंद करने का फैसला मंदिर के ट्रस्ट को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। वहीं, ट्रस्ट के इस फैसले से मंदिर में रोजाना मोहनथाल का प्रसाद तैयार करने वाले 100 से ज्यादा कर्मचारी भटके हुए हैं। सोशल मीडिया में भी मंदिर ट्रस्ट और सरकार के खिलाफ कई निवेशक जा रहे हैं।

इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 1975 से शुरू हुआ था और तब से अब तक जारी है।
पालनपुर के वकील ने भी चिंता जताई
अंजान मंदिर में 500 साल से चल रहे मोहनथाल के चढ़ावे पर रोक लगाने के बाद विवाद बढ़ गया है। प्रसाद बंद करने के मुद्दों पर पालनपुर वकील मंडल भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं। वहीं, बनासकांठा के कलेक्टर पटेल ने कहा कि विदेशों से वितरित प्रसाद की मांग आ रही है। इसलिए ट्रस्ट ने चिक्की की पेशकश देने का फैसला किया है।